मुंबई में बांद्रा-कुर्ला कॉम्पलेक्स के पास मेट्रो का काम चल रहा है. अक़्सर रात को पास की दुकानों में काम करने वाले यहां जमा हो जाते हैं और रबर की बॉल से क्रिकेट खेलते हैं. सोमवार रात दस बजे भी वहां क्रिकेट हो रहा था तभी एक कार रुकी और उसमें से एक व्यक्ति बाहर निकलकर आता है और इन खिलाड़ियो से पूछता है कि क्या उनका एक दोस्त भी उनके साथ खेल सकता है?
इस व्यक्ति ने गली में फ़ील्डिंग कर रहे खिलाड़ियो से कहा, “भऊ, हमारे साथ एक छोटा सा खिलाड़ी है जो बैटिंग करना चाहता है. ये छोटा खिलाड़ी तब तक कार से निकलकर बाहर आ जाता है. इसे देखकर इन खिलाड़ियों की बस चीख नहीं निकली क्योंकि ये और कोई नहीं भारत में क्रिकेट के गॉड सचिन तेंदुलकर थे जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 34 हज़ार रन बनाए हैं और 100 शतक लगाए हैं.
Sachin
सचिन का ये वीडियो ज़बरदस्त वायरल हो गया है. वीडियो में एक को सचिन के पैर छूते हुए देखा जा सकता है. सचिन ने फिर बैट पकड़ा और स्टंप के रुप में प्लास्टिक के बैरिकेड के सामने खड़े होकर गार्ड लिया. पहली बॉल को सचिन ने बैकफुट पर जाकर पंच किया. इस बीच सचिन ने तीन-चार बॉल खेली तभी राहगीरों को पता लगा कि ये कोई मामूली क्रिकेटर नहीं बल्कि सचिन तेंदुलकर है. बस फिर क्या था लोग कार, स्कूटर रोककर वीडियो बनाने लगे.
ग़ौरतलब है कि जिस उम्र में बच्चे गली मोहल्ले में क्रिकेट खेलना शुरु करते हैं उस उम्र में सचिन इमरान ख़ान,वसीम अकरम, वक़ार यूनुस और अब्दुल क़ादिर जैसे बॉलरों का सामना कर रहे थे. सचिन के स्कूल के साथी अतुल रानाडे ने बताया कि उनके दोस्त डॉ. संजय के कहने पर सचिन ने कार से उतरकर अपने बचपन की यादें ताज़ा की. रानाडे ने कहा कि सचिन को डॉ. संजय से मिलकर बहुत ख़ुशी हुई जो कई सालों से अमेरिका में रह रहे हैं. हम लोग डिनर के लिए जा रहे थे तभी हमने इन लोगों को सड़क पर क्रिकेट खेलते देखा.
“संजय ने सचिन से पूछा क्यों न पुराने समय को याद किया जाए? सचिन ने कहा मुझे कोई एतराज़ नही है लेकिन....सचिन और सार्वजनिक जगह...?” बहरहाल, जब माहौल सामान्य हो गया तो रानाडे ने कैमरे से सचिन का खेलते हुए वीडियो बनाया. “सचिन को बहुत मज़ा आ रहा था लेकिन लोगों की भीड़ लगने लगी. चारों तरफ़ ख़बर भी उड़ गई कि सचिन सड़क पर क्रिकेट खेल रहे हैं.”
सचिन की तरह सुनील गावस्कर, दिलीप वेंगसरकर और संदीप पाटिल भी मुंबई की गलियों में क्रिकेट खेले हैं. ये महान खिलाड़ी भी अंतरराष्ट्रीय दौरे से लौटकर टाइम्स शील्ड या कांगा लीग में खेला करते थे. इनके लिए ये कोई मायने नहीं रखता था कि वे कहां खेल रहे हैं.