Ranji Trophy: भारतीय क्रिकेट में नए युग की शुरुआत, इन 3 महिलाओं ने रचा इतिहास
Ranji Trophy: भारतीय क्रिकेट के इतिहास में पहली बार महिलाओं ने पुरुष क्रिकेट में अंपायरिंग की।
Ranji Trophy: भारतीय क्रिकेट के इतिहास में वृंदा राठी, जननी नारायणन और गायत्री वेणुगोपालन का नाम सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो चुका है। मंगलवार को इन तीनों महिलाओं ने प्रतिष्ठित रणजी ट्रॉफी क्रिकेट टूर्नामेंट में बतौर अंपायर पदार्पण किया और पुरुष क्रिकेट में अंपायरिंग करने वाली पहली महिला अधिकारी बनने का दर्जा हासिल कर लिया। भारतीय क्रिकेट में यह पहला मौका है जब पुरुष क्रिकेट में महिलाओं ने अधिकारी के तौर पर कार्यभार संभाला।
रणजी ट्रॉफी के अलग-अलग मैचों में अंपायरिंग
वेणुगोपालन झारखंड और छत्तीसगढ़ के बीच जमशेदपुर में अधिकारी की भूमिका निभा रही हैं जबकि नारायणन सूरत में रेलवे बनाम त्रिपुरा और राठी पोरवोरिम में गोवा बनाम पुडुचेरी मुकाबले में अंपायरिंग कर रही हैं। ये तीनों महिला प्रतियोगिताओं की प्रतिष्ठित अधिकारी हैं और भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) के महिला अंपायरों को पुरुष घरेलू प्रतियोगिताओं में मौका देने के फैसले से उन्हें रणजी ट्रॉफी में अधिकारी की भूमिका निभाने का मौका मिला है।
नारायणन ने सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की नौकरी छोड़ी
नारायणन 36 साल की हैं और उन्हें क्रिकेट और इससे जुड़ी सभी चीजें पसंद हैं। वह मैदान पर उतरना चाहती थीं और उन्होंने अंपायर बनने के लिए तमिलनाडु क्रिकेट संघ (टीएनसीए) से भी कुछ मौकों पर संपर्क किया। इसके कुछ साल बाद राज्य संस्था ने अपना नियम बदलते हुए महिलाओं को अधिकारी की भूमिका निभाने की स्वीकृति दी जिसके बाद नारायणन ने 2018 में बीसीसीआई की लेवल दो की अंपायरिंग परीक्षा पास की और फिर अपनी सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की नौकरी छोड़कर अंपायरिंग से जुड़ी। वह 2021 में तमिलनाडु प्रीमियर लीग में भी अधिकारी की भूमिका निभा चुकी हैं।
राठी रह चुकी हैं स्कोरर
दूसरी तरफ 32 साल की राठी मुंबई में स्थानीय मैचों में स्कोरिंग करती थी। उन्होंने बीसीसीआई की स्कोरर की परीक्षा पास की। वह 2013 महिला विश्व कप में बीसीसीआई की आधिकारिक स्कोरर थी। इसके बाद वह अंपायरिंग से जुड़ी। नारायणन और राठी अनुभवी अंपायर हैं और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद ने 2020 में उन्हें डेवलपमेंट अंपायरों के पैनल में शामिल किया।
वेणुगोपालन बनना चाहती थीं क्रिकेटर
दिल्ली की 43 साल की वेणुगोपालन ने क्रिकेटर बनने का सपना देखा था लेकिन कंधे की चोट ने उनका सपना तोड़ दिया। उन्होंने बीसीसीआई की परीक्षा पास करने के बाद 2019 में अंपायरिंग शुरू की। वह पहले ही रणजी ट्राफी में रिजर्व अंपायर (चौथे अंपायर) की भूमिका निभा चुकी हैं।