विराट कोहली टेस्ट क्रिकेट में एकबार फिर से अपना असर छोड़ने में नाकाम हो गए। यह इस फॉर्मेट में पिछले तीन साल से चल रही उनकी खराब फॉर्म के सिलसिले में आया एक नया मोड़ था। कोहली जिस अंदाज में पवेलियन लौटे वह उनके भविष्य को लेकर अच्छे संकेत नहीं देता। बांग्लादेश के खिलाफ चटोग्राम में खेले जा रहे पहले टेस्ट के पहले दिन जब कोहली नंबर चार पर बल्लेबाजी करने के लिए आए तब भारत की सलामी जोड़ी पवेलियन लौट चुकी थी। शुभमन गिल 40 गेंदों में 20 रन बनाकर आउट होने वाले पहले बल्लेबाज थे। कप्तान केएल राहुल 54 गेंदों में 22 रन जोड़कर पवेलियन लौटे। विराट जब बैटिंग करने के लिए क्रीज पर पहुंचे तब भारतीय टीम के 18.1 ओवर में 45 रन पर दो विकेट गिर चुके थे।
नाकाम पारी के बाद कमजोर नजर आए कोहली!
पूर्व भारतीय कप्तान क्रीज पर बमुश्किल पांच मिनट गुजार सके। वह 19वें ओवर में आए और 20वें ओवर में विदा हो गए। उन्होंने अपनी पारी में 5 गेंदों में 1 रन बनाए। उनका विकेट बांग्लादेशी स्पिनर तैजुल इस्लाम ने लिया। कोहली क्रीज की गहराई में, यानी बैकफुट पर क्रीज में बेहद पीछे खड़ थे जब तैजुल की विकेट की सीध में गिरी गेंद उनके पैड से टकरा गई। जाहिर है, इस पर मेजबान टीम ने जोरदार अपील किया और अंपायर ने बिना किसी देरी के अपनी उंगली सीधी खड़ी कर दी।
क्रिकेटिंग सेंस से ज्यादा चमत्कार पर भरोसा!
103 टेस्ट मैच का अनुभव रखने वाले विराट कोहली के दिमाग में भी शायद शक की कोई गुंजाइश नहीं रही होगी। वह प्लंब एलबीडब्लू थे, क्रिकेट की बारीक समझ रखने वाले कोहली को भी यह पता रहा होगा। लेकिन उन्होंने क्रीज नहीं छोड़ा। शायद उन्होंने क्रिकेटिंग सेंस से ज्यादा किसी चमत्कार पर भरोसा किया और डीआरएस लेने का फैसला किया। रिव्यू में साफ था कि वह प्लंब एलबी हैं, शक की कोई गुंजाइश नहीं बची, कोहली पवेलियन लौट गए पर इस दफा लौटते हुए वह थोड़े ज्यादा कमजोर नजर आए।
मजबूत कोहली का कमजोर फैसला!
अगर विराट कोहली ग्राउंड अंपायर के डिसीजन के बाद सीधे लौट गए होते तो पहले की तरह बात आई-गई हो जाती। लेकिन वह लाइफलाइन का जुआ खेलकर शायद अपने बड़े से बड़े फैंस के जहन में भी शक की एक बीच बो गए। अपने क्रिकेटिंग कैलिबर और मजबूत इरादे के लिए मशहूर कोहली इस मौके पर इसके ठीक उलट नजर आए। डीआरएस की डिमांड करके उन्होंने अपने प्रशंसकों का भी कद कुछ छोटा कर दिया है शायद।
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