Shane Warne ball of the century VIDEO : दुनिया के महान लेग स्पिनर में से एक ऑस्ट्रेलिया के शेन वार्न अब इस दुनिया में नहीं हैं। लेकिन उन्होंने क्रिकेट में जो काम किए, उसे हमेशा के लिए याद किया जाता रहेगा। दुनियाभर में हर रोज कहीं न कहीं क्रिकेट होता ही रहता है, लेकिन शेन वार्न ने आज ही के दिन साल 1993 में जो गेंद फेंकी थी, उसे आज भी याद किया जाता है। वे गेंद द बॉल ऑफ द सेंचुरी कहा जाता है। खास बात ये थी कि शेन वार्न ने इस उपलब्धि को इंग्लैंड के खिलाफ एशेज सीरीज में हासिल किया था, जो भारत और पाकिस्तान के मुकाबले से कम नहीं होता। इतने साल होने के बाद भी आज फिर आईसीसी ने उस बॉल को याद किया और अपने ट्विटर हैंडल से शेयर किया है, इसी से उस गेंद की महानता को समझा जा सकता है।
चलिए जरा उस गेंद की बात करें जो शेन वार्न ने माइक गैटिंग को फेंकी थी। ये गेंद वाइड लेग पर लगी, लेकिन इतनी घूमी कि इंग्लैंड के बल्लेबाज माइक गैटिंग के ऑफ स्टंप पर जा लगी। बल्लेबाज माइक गैटिंग को समझ ही नहीं आया कि ये हुआ क्या है। वे आउट होने के बाद भी कुछ देर पर खड़े रहे और गेंद की स्पिन को समझने की कोशिश करते रहे। आईसीसी ने आज उस बड़े पल को याद करते हुए ट्विटर पर लिखा, है कि इस दिन 1993 में, दुनिया ने शेन वार्न की बॉल ऑफ द सेंचुरी देखी। इंग्लैंड के खिलाफ मैच में ऑस्ट्रेलिया ने पहली पारी में 289 रन बनाए थे और यह मेजबान टीम की पारी में था जब शेन वार्न ने माइक गैटिंग को आउट किया था।
लेग स्पिनर शेन वार्न ने पहली पारी में चार और दूसरी पारी में चार विकेट लिए। इस तरह से ऑस्ट्रेलिया को टेस्ट में 179 रन से जीत दिलाई। स्पिन के दिग्गज शेन वॉर्न का 4 मार्च को थाईलैंड में एक संदिग्ध दिल का दौरा पड़ने से दुखद निधन हो गया था। शेन वार्न ने साल 1990 के दशक की शुरुआत में इंटरनेशनल क्रिकेट खेलना शुरू किया और आते ही अपनी गजब की गेंदबाजी से वे छा गए। शेन वार्न ने ये जादुई गेंद साल 1993 में फेंकी थी, इसके बाद साल 2007 तक वे इंटरनेशलन क्रिकेट खेलते रहे, लेकिन बाकी गेंदबाजों की बात तो छोड़ दीजिए, शेन वार्न खुद भी उस तरह की गेंद दोबारा नहीं फेंक पाए। शेन वार्न ने कुल मिलाकर 700 टेस्ट विकेट लिए और वे यहां तक पहुंचने वाले पहले गेंदबाज भी बने। इसके अलावा उन्होंने एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैचों में भी 293 विकेट अपने नाम किए। शेन ने 11 एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैचों में ऑस्ट्रेलिया की कप्तानी भी की। इसमें से 10 जीते और सिर्फ एक बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
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