भारतीय हॉकी टीम ने पेरिस ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतने के साथ इतिहास रच दिया। भारत ने स्पेन को 2-1 से हराते हुए ब्रॉन्ज मेडल पर कब्जा किया और बैक टू बैक ओलंपिक में मेडल जीतने का 52 साल पुराना इतिहास दोहराया। इससे पहले भारतीय हॉकी टीम ने 1968 और 1972 ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीते थे। 4 साल के भीतर भारत को दूसरा ब्रॉन्ज मेडल दिलाने में गोलकीपर पीआर श्रीजेश का अहम योगदान रहा जिन्होंने इस ऐतिहासिक जीत के साथ ही हॉकी को अलविदा कह दिया। श्रीजेश ने पहले ही संकेत दे दिया था कि ये ओलंपिक उनका आखिरी इंटरनेशनल टूर्नामेंट होगा। इस तरह कप्तान हरमनप्रीत की शानदार भारतीय हॉकी टीम ने श्रीजेश को मेडल के रुप में शानदार विदाई दी।
2006 में इंटरनेशनल डेब्यू करने वाले श्रीजेश ने पेरिस ओलंपिक के क्वार्टर फाइनल मुकाबलें में शानदार खेल दिखाया था और कई शानदार बचाव तब किए जब अमित रोहिदास को रेड कार्ड दिखाए जाने के बाद भारतीय टीम ग्रेट ब्रिटेन को रोकने के लिए संघर्ष कर रही थी। इस मैच में दिग्गज भारतीय गोलकीपर दीवार की तरह भारतीय गोल पोस्ट के आगे खड़े रहे और भारतीय टीम को सेमीफाइनल में पहुंचाकर ही दम लिया। यहां भारतीय टीम भले ही जर्मनी से पार नहीं पा सकी लेकिन ब्रॉन्ज मेडल में स्पेन के खिलाफ श्रीजेश ने एक बार फिर साबित किया कि क्यों उन्हें दुनिया का बेस्ट गोलकीपर कहा जाता है।
श्रीजेश बेमिसाल
भारतीय टीम के ब्रॉन्ज मेडल जीतने के बाद हर किसी की जुबां पर एक ही नाम है पीआर श्रीजेश। भारत के महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने भी श्रीजेश को शानदार विदाई के लिए शुभकामना दी है। सचिन ने एक्स पर लिखा, "आपने इतने सालों तक पूरे दिल से अपने लक्ष्य को बनाए रखा। खेल के प्रति आपकी लगन, प्रतिबद्धता और उत्साह हमेशा बेमिसाल रहा है। इस ओलंपिक में, खासकर ग्रेट ब्रिटेन के खिलाफ मैच में, जहां हमने 10 खिलाड़ियों के साथ लगभग 42 मिनट तक खेला, आपने शानदार प्रदर्शन किया। भारतीय हॉकी को आपका साथ पाकर बहुत खुशी हुई। आपके त्याग के लिए आपका धन्यवाद। आपके जीवन और करियर के दूसरे हिस्से के लिए आपको शुभकामनाएं।"
श्रीजेश की विदाई की तुलना सचिन तेंदुलकर से की जा सकती है। सचिन
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