R Ashwin on ODI Future: आज की तेज भागती जिंदगी में वनडे क्रिकेट को देखने के लए लिए आठ घंटे का वक्त निकालना ज्यादातर लोगों के लिए मुश्किल होता जा रहा है। खुद को हार्डकोर क्रिकेट लवर मानने वाले फैंस भी इस फॉर्मेट से दूर होते जा रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में ये एक आम सोच बनती जा रही है जिस पर टीम इंडिया के लीजेंड्री स्पिनर रविचंद्रन अश्विन भी मुहर लगा चुके हैं।
वनडे की प्रासंगिकता खतरे में
भारत के स्टार ऑफ स्पिनर अश्विन का मानना है कि टी20 क्रिकेट की तेजी से बढ़ती लोकप्रियता के बीच वनडे क्रिकेट को अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने में मुश्किल हो सकती है। अश्विन की नजर में 50 ओवर का ये खेल टी20 क्रिकेट का ही एक बड़ा फॉर्मेट बनता जा रहा है, जिसमें कोई उतार – चढ़ाव नहीं होता। दुनिया भर में बाइलेटरल वनडे सीरीज की प्रासंगिकता कम होती जा रही है लिहाजा इसे अपनी जमीन तलाशनी होगी।
भारतीय टीम का 2022 में टी20 पर जोर
टीम इंडिया के शेड्यूल के मुताबिक उसे 2022 में वनडे बाइलेटरल सीरीज के तहत सिर्फ 15 वनडे मैच खेलने हैं। वहीं टी20 बाइलेटरल सीरीज में वह कुल 24 मैच खेलेगी। इसके अलावा एशिया कप और टी20 वर्ल्ड कप जैसे टूर्नामेंट में भी भारतीय टीम शिरकत करेगी। तस्वीर साफ है, टी20 क्रिकेट के इस युग में वनडे फॉर्मेट को अपनी प्रासंगिकता तलाशने की जरूरत है।
ज्यादा टी20 के पक्ष में दिग्गजों की फौज
अश्विन के अलावा टीम इंडिया के पूर्व हेड कोच रवि शास्त्री समेत कई दिग्गजों ने पहले भी कहा है कि क्रिकेट में वनडे की बाइलेटरल सीरीज की जगह आईपीएल जैसी टी20 लीग को बढ़ाने की जरूरत है। इसी बहस को आगे बढ़ाते हुए अश्विन ने कहा, ‘‘ वनडे क्रिकेट की सबसे बड़ी खूबसूरती यह है कि इसमें उतार चढाव नहीं है। इस फॉर्मेट में गेंदबाजों की भी भूमिका होती है।’’
वनडे में पुराने वक्त मे लौटने की जरूरत
मौजूदा वक्त में वनडे की एक इनिंग्स में दो नई गेंदों का प्रयोग होता है, पर अश्विन का मानना है कि इसे पुराने तरीके से खेला जाना चाहिए जिसमें एक ही गेंद ली जाती थी। भारतीय फिरकी गेंदबाज के मुताबिक, एक गेंद के प्रयोग से मुकाबला बराबरी का होता था। रिवर्स स्विंग भी मिलती थी जो खेल के लिए जरूरी है।
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