रणजी ट्रॉफी 2022 का फाइनल मुकाबला बेंगलुरु के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में खेला जा रहा है। इस मुकाबले में मुंबई की टक्कर मध्य प्रदेश से है। आपको ये जानकर शायद हैरानी होगी कि भारतीय घरेलू क्रिकेट का सबसे बड़ा मुकाबला डिसीजन रिव्यू सिस्टम (DRS) के बिना खेला जा रहा है।
रणजी फाइनल में DRS के नहीं होने से सबको नुकसान
मध्य प्रदेश 23 साल के बाद रणजी फाइनल में पहुंची है और यहां DRS के नहीं होने का नुकसान उसे लंबे वक्त तक सता सकता है। खेल के पहले दिन जबरदस्त फॉर्म में चल रहे मुंबई के बल्लेबाज सरफराज खान को DRS के नहीं होने के चलते गौरव यादव की गेंद पर हुए एक करीबी मामले में जीवनदान मिल गया। दूसरे दिन सरफराज ने शतकीय पारी खेल दी।
DRS के नहीं होने से पहले भी हुआ नुकसान
2018-19 रणजी ट्रॉफी सेमीफाइनल में भी यही हुआ था। सौराष्ट्र और कर्नाटक के बीच हुए मुकाबले में DRS के नहीं होने के कारण चेतेश्वर पुजारा को दो बार जीवनदान मिला। उन्होंने दूसरी पारी में नाबाद 131 रन बनाए और सौराष्ट्र ने मैच जीत लिया।
‘हमें अंपायरों पर है भरोसा’
मीडिया में आई रिपोर्ट के मुताबिक रणजी ट्रॉफी 2022 के फाइनल में DRS के नहीं होने के पीछे बीसीसीआई ने अपना तर्क दिया है। बोर्ड ने कहा है, “हमें अपने अंपायरों पर पूरा विश्वास है।” मीडिया रिपोर्ट में एक पूर्व क्रिकेटर का बयान है, “इस मैच में केएन अनंतपद्मनाभन और वीरेंदर शर्मा अंपायरिंग कर रहे हैं और हमें उन पर भरोसा करना चाहिए।”
‘DRS का उपयोग पड़ता है महंगा’
इसके अलावा, इस पूर्व खिलाड़ी के बयान को कुछ यूं दिखाया गया है, “DRS का उपयोग करना महंगा पड़ता है। इससे कीमत बढ़ जाती है। अगर फाइनल में DRS नहीं है तो इससे भला क्या फर्क पड़ता है। भारत के सर्वश्रेष्ठ अंपायर मैच में हैं। अभी आप फाइनल में DRS की मांग कर रहे हैं, बाद में रणजी के लीग स्टेज में भी मांगेंगे।”
रणजी फाइनल में DRS के नहीं होने के पीछे तर्क तो कई दिए गए लेकिन ये भी एक सच्चाई है कि बीसीसीआई को दुनिया की सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड बनाने की बुनियाद इसी तरह के घरेलू टूर्नामेंट में तैयार हुई है। ऐसे में, इन मुकाबलों में बेहतर सुविधा से फायदा खिलाड़ी के साथ-साथ इस खेल और इसके हुक्मरानों को ही होगा।
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