करुण नायर: तिहरा शतक जड़ने के बावजूद टीम से हुए थे बाहर, अब भी कर रहे मौके का इंतजार
भारत के लिए टेस्ट में तिहरा शतक जड़ने का बड़ा कारनामा करने वाले करुण नायर टीम इंडिया में वापसी को लेकर अब भी कड़ी मेहनत कर रहे हैं। नायर ने कहा है कि उन्होंने उम्मीद नहीं खोई है और वह अब भी वापसी की राह देख रहे हैं।
करुण नायर टीम इंडिया के लिए वीरेंदर सहवाग के बाद टेस्ट में तिहरा शतक जड़ने वाले दूसरे बल्लेबाज बने थे लेकिन उनके लिए आगे की राह आसान होने के बजाय मुश्किल होती चली गई। साल 2016 में करुण नायर ने इंग्लैंड के खिलाफ तिहरा शतक जड़ा और फिर अगले साल ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज में फेल होने के बाद टीम से बाहर कर दिए गए। इसके बाद से अब तक 7 साल से ज्यादा का समय बीत चुका है लेकिन बल्लेबाज की वापसी अभी तक नहीं हो पाई है। हालांकि इतना समय बीत जाने के बावजूद करुण नायर ने हार नहीं मानी है और उन्हें आज भी टीम इंडिया से बुलावे का इंतजार है
32 वर्षीय नायर ने कहा है कि वह अपनी सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजी कर रहे हैं। महाराजा T20 ट्रॉफी में मैसूर वारियर्स के लिए खेल रहे नायर ने कहा कि वह ट्रॉफी जीतने के लिए उत्सुक हैं और भारत की टेस्ट टीम में अपनी जगह फिर से हासिल करना चाहते हैं।ईएसपीएनक्रिकइंफो ने नायर के हवाले से बताया कि उन्हें लगता है कि वह पहले की तरह ही अच्छी बल्लेबाजी कर रहे हैं और अच्छी मानसिक स्थिति में हैं। उनका पूरा ध्यान उन मौकों का पूरा फायदा उठाने पर हो ताकि वह फिर से सफलता हासिल कर सके। उन्होंने कहा कि हर सुबह उठना और टेस्ट क्रिकेट खेलने का सपना देखना अभी भी रोमांचक है। यह उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। वह ट्रॉफी जीतना पसंद करेंगे। वह पिछले साल रणजी ट्रॉफी जीतने से चूक गए थे लेकिन इस साल सुधार करने की कोशिश करेंगे।
वापसी का आज भी है इंतजार
नायर ने 2016 में मोहाली में इंग्लैंड के खिलाफ़ टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू किया था। अपनी पहली दो टेस्ट पारियों में लो स्कोर बनाने के बाद उन्होंने चेपॉक में 381 गेंदों पर नाबाद 303 रनों की शानदार पारी खेली। हालांकि, वह अपनी अगली चार टेस्ट पारियों में केवल 54 रन ही बना पाए और उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया। अपने आखिरी टेस्ट मैच को सात साल हो चुके हैं, लेकिन नायर ने उम्मीद नहीं खोई है। पिछले साल 2023-2024 के घरेलू सत्र से पहले ज्यादा से ज्यादा समय मैदान पर बिताने के लिए वह विदर्भ चले गए थे। ये फैसला उनके लिए टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ और उन्होंने रणजी ट्रॉफी में 690 रन बनाकर अपनी टीम को फाइनल में पहुंचाया। हालांकि खिताबी मुकाबलें में उनकी टीम को मुंबई के हाथों हार का सामना करना पड़ा।
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