कुलदीप की जगह लेने पर अब उनादकट ने तोड़ी चुप्पी, प्लेयर ऑफ द मैच बनने के बाद भी किए गए थे बाहर
बांग्लादेश के खिलाफ जब उनादकट को कुलदीप की जगह टीम में चुना गया था तो खूब जमकर बवाल मचा था।
भारतीय क्रिकेट टीम ने बांग्लादेश को दो मैचों की टेस्ट सीरीज में 2-0 से मात दी। इस सीरीज के दूसरे मुकाबले में टीम इंडिया ने बांग्लादेश को 3 विकेट से मात दी। मुकाबला काफी कांटे का था, लेकिन अंत में श्रेयस अय्यर और रविचंद्रन अश्विन की जोड़ी ने भारत को मैच जिता दिया। इस मैच में तेज गेंदबाज जयदेव उनादकट ने भी कमाल का प्रदर्शन किया। ये उनादकट का करीब 12 साल के बाद पहला टेस्ट मैच था। उन्हें कुलदीप यादव की जगह टीम में शामिल किया गया था और ऐसे में काफी विवाद मचा। अब इस मामले में खुद उनादकट का बयान आया है।
12 साल बाद मिला खेलने का मौका
12 साल में पहली बार भारत के लिये टेस्ट खेल रहे जयदेव उनादकट ने शानदार प्रदर्शन करके अपना ‘वादा’ निभाया। टेस्ट क्रिकेट खेलने के लिए वह किस कदर तरस रहे हैं, इसकी बानगी जनवरी में देखने को मिली जब उनका एक ट्वीट वायरल हो गया था। उन्होंने लिखा था, ‘‘डियर ‘रेड बॉल’, मुझे एक मौका और दे दो ‘प्लीज’। तुम्हें फख्र होगा, ये मेरा वादा है।’’ उनादकट ने बांग्लादेश से लौटने के बाद पीटीआई को दिए इंटरव्यू में कहा, ‘‘हर किसी को लगा कि मैं राष्ट्रीय टीम में वापसी की बात कर रहा हूं। मुझे लाल गेंद से क्रिकेट खेलने की उत्कंठा थी क्योंकि कोरोना के कारण रणजी ट्रॉफी फिर स्थगित हो गई थी।’’
शमी की जगह मिला मौका
उनादकट ने आखिरी बार 2010 में टेस्ट खेला था जिस टीम में सचिन तेंदुलकर और मौजूदा मुख्य कोच राहुल द्रविड़ भी थे। उन्होंने दूसरा टेस्ट बांग्लादेश के खिलाफ अब खेला चूंकि मोहम्मद शमी पूरी तरह से फिट नहीं थे। वीजा मिलने में देरी के कारण वह पहला टेस्ट शुरू होने के बाद ही बांग्लादेश पहुंचे लेकिन दूसरे टेस्ट में उन्हें कुलदीप यादव की जगह उतारा गया। पहले टेस्ट में आठ विकेट लेने वाले कुलदीप को बाहर करने से काफी विवाद खड़ा हुआ।
उन्होंने जाकिर हसन के रूप में पहला टेस्ट विकेट लिया। उन्होंने कहा, ‘‘यह मेरे करियर की सबसे सुनहरी यादों में से एक होगा। टेस्ट विकेट लेने की कल्पना मैं हजार बार कर चुका था ।’’ यह पूछने पर कि क्या कुलदीप की जगह लेने से कोई दबाव महसूस हुआ, उन्होंने कहा, ‘‘बिल्कुल नहीं। जब आप अपेक्षा नहीं करते और चीजें हो जाती है तो उन्हें स्वीकार कर लेना चाहिए। मैं सिर्फ अपना योगदान देना चाहता था। घरेलू क्रिकेट खेलने से मुझे काफी फायदा मिला।’’