क्रिकेट का मक्का कहे जाने वाले लॉर्ड्स में दो युवा खिलाड़ी टीम इंडिया की ओर से 1996 में डेब्यू कर रहे थे। इनमें से एक खिलाड़ी जहां डेब्यू मैच में शतक ठोकने में कामयाब रहा तो वहीं दूसरा खिलाड़ी सैकड़े से 5 रन दूर रह गया। शतक जमाने वाले खिलाड़ी का नाम था सौरव गांगुली और जो शतक से सिर्फ चंद कदम दूर रह गया वो थे राहुल द्रविड़ जो आगे चलकर बने भारतीय क्रिकेट टीम की सबसे मजबूत दीवार। राहुल द्रविड़ को पूरी दुनिया द वॉल' के नाम से जानती है और आज वो अपना 49वां जन्मदिन मना रहे हैं। द्रविड़ का जन्म भले ही इंदौर में आज ही के दिन साल 1973 मे हुआ था लेकिन उन्होंने क्रिकेट गुर बैंगलोर में सीखे। दरअसल, राहुल के पैदा होने के कुछ समय बाद ही उनका परिवार बेंगलुरु में शिफ्ट हो गया था। उनकी स्कूलिंग सेंट जोसेफ ब्वॉयज हाई स्कूल से हुई और यहीं से उन्होंने क्रिकेट के शुरुआती गुर सीखने शुरू कर दिए।
राहुल द्रविड़ की गिनती दुनिया के उन चुनिंदा बल्लेबाजों में होती है जिन्होंने हर भूमिका में खुद को साबित किया। फिर चाहे लगातार गिरते विकटों के बीच दूसरे छोर को संभाले रखना हो या फिर टेस्ट मैच बचाने के लिए पूरे दिन क्रीज पर टिकना। राहुल ने जरुरत पड़ने पर टीम इंडिया के लिए सलामी बल्लेबाज की अहम भूमिका भी निभाई। यही नहीं, जब टीम इंडिया सबसे मुश्किल दौर से गुजर रही थी तब द्रविड़ ने टीम की कमान भी संभाली।
Image Source : GETTYHappy Birthday Rahul Dravid
बल्लेबाज के अलावा द्रविड़ कई मौकों पर विकेटकीपर की भूमिका में भी नजर आए और रिटायरमेंट के तुंरत बाद आराम करने की बजाय जूनियर लेवल पर क्रिकेटरों की तराशने में जुट गए। द्रविड़ ने एनसीए में रहते हुए न जाने कितने ही युवा खिलाड़ियों को तराशा जो आज टीम इंडिया में लगातार बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं। इसके अलावा 'मिस्टर भरोसेमेंद' के नाम से मशहूर द्रविड़ ने भारत की ए टीम और अंडर-19 टीम को कोंचिंग भी दी और बतौर कोच अंडर-19 वर्ल्ड कप समेत कई बड़े खिताब जिताने में अहम योगदान दिया।
द्रविड़ के करियर की बात करें तो उन्होंने अपने 16 साल के करियर में 164 टेस्ट मैच खेलते हुए 52.31 की औसत से स्कोरबोर्ड पर 13,288 रन लगाए जिसमें 36 शतक और 60 अर्धशतक शामिल रहे। टेस्ट के अलावा द्रविड़ ने वनडे में भी अपना लोहा मनवाया और 344 मैचों में 12 शतक और 83 अर्धशतक की मदद से 10889 रन अपने नाम किए।
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राहुल द्रविड़ वर्तमान में टीम इंडिया के हेड कोच की भूमिका निभा रहे हैं और उनकी काबिलियत का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि BCCI ने खुद आगे बढ़कर भारतीय टीम के कोच बनने का ऑफर उन्हें दिया था। राहुल द्रविड़ भले ही आज क्रिकेट के मैदान पर बल्लेबाज के तौर पर सक्रिय न हो लेकिन एक गुरु के रुप में भारतीय क्रिकेट टीम को नई दिशा दिखा रहे हैं।
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