नागपुर टेस्ट से पहले कोच राहुल द्रविड़ का बड़ा बयान, ऐसे करेंगे ऑस्ट्रेलिया को पस्त
बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी से पहले टीम इंडिया के कोच राहुल द्रविड़ ने एक बड़ा बयान दिया है।
Border Gavaskar Trophy: दुनियाभर के क्रिकेट फैंस की नजरें अब 9 फरवरी से शुरू हो रही बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी पर टिकी हुई हैं। इस सीरीज में टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया की मजबूत टीम को मात देकर वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल के लिए अपना टिकट कटाने की कोशिश करेगी। घर में खेलते हुए हमेशा से ही भारतीय टीम का पलड़ा भारी रहता है। इसी बीच टीम इंडिया के हेड कोच राहुल द्रविड़ ने एक बड़ा बयान दिया है।
द्रविड़ का बड़ा बयान
भारतीय टीम के मुख्य कोच राहुल द्रविड़ ने रविवार को कहा कि 9 फरवरी से ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शुरू हो रही टेस्ट सीरीज में टीम का फोकस फील्डिंग खासकर स्लिप में कैचिंग पर होगा। अतीत में स्लिप में भारत का फील्डिंग चिंता का विषय रहा है और द्रविड़ ने कहा कि टीम इसमें सुधार की कोशिश कर रही है। द्रविड़ ने बीसीसीआई द्वारा ट्विटर पर डाले गए एक वीडियो में कहा, ‘‘हर कोई फिट है और टेस्ट टीम को फिर साथ में देखकर अच्छा लग रहा है। हमने पिछले कुछ महीने में सफेद गेंद से काफी क्रिकेट खेला है।’’
खिलाड़ी जमकर कर रहे तैयारी
द्रविड़ ने आगे कहा, ‘‘इनमें कुछ खिलाड़ी सफेद गेंद के फॉर्मेट से टेस्ट खेलने आये हैं और नेटपर उन्हें अतिरिक्त अभ्यास करते देखकर अच्छा लगा ।’’ भारतीय टीम वीसीए स्टेडियम पर नेट अभ्यास कर रही है। द्रविड़ ने कहा, ‘‘फील्डिंग काफी महत्वपूर्ण है। करीबी कैचिंग पर ध्यान देना होगा क्योंकि सीरीज में इसकी भूमिका अहम होगी। स्लिप फील्डिंग और कैचिंग पर काफी फोकस रहेगा। जब आप लगातार यात्रा करते हैं तो इन चीजों पर काम करने का ज्यादा समय नहीं मिल पाता। हमने कुछ लंबे नेट सत्र किए। कोचिंग स्टाफ के लिए भी यह अच्छा है क्योंकि हम इतना ज्यादा क्रिकेट खेलते हैं कि इसके लिए समय नहीं मिल पाता।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इस सप्ताह अभ्यास के लिए समय मिल पाना अच्छा रहा। कोचिंग स्टाफ इसके लिए एक महीने से तैयारी कर रहा था। मुझे खुशी है कि सब कुछ ठीक चल रहा है।’’ नागपुर के बाद दूसरा टेस्ट 17 फरवरी से दिल्ली में, तीसरा एक मार्च से धर्मशाला में और चौथा 9 मार्च से अहमदाबाद में खेला जाएगा। द्रविड़ ने कहा, ‘‘मेरे हिसाब से तो यह छोटा ही शिविर था। मुझे लंबे शिविर पसंद है जिनमें खेल पर काम हो सके लेकिन मुझे फिर भी खुशी है कि यहां पांच छह दिन मिल सके।’’