टीम इंडिया के तेज गेंदबाज आवेश खान साउथ अफ्रीका के खिलाफ अपने करियर की दूसरी टी20 इंटरनेशनल सीरीज खेल रहे हैं। इस सीरीज में अब तक हुए चार मैच में वे चार विकेट चटका चुके हैं, लेकिन उन्होंने ये विकेट शुरुआती दबाव और मुश्किलों को पीछे छोड़कर हासिल किए। उन्हें राजकोट में खेले गए चौथे मैच में भारत की जीत का हीरो माना जा रहा है, लेकिन मौजूदा सीरीज में उनका राजकोट तक का सफर बेहद मुश्किल रहा है। यकीन मानिए, अगर उन्हें टीम के हेड कोच राहुल द्रविड़ का साथ और भरोसा नहीं मिला होता तो आज उनकी कहानी में इतने रंग नहीं भरे होते शायद।
‘राहुल सर के भरोसे से मिली सफलता’
आवेश को पहले तीन मैचों में कोई विकेट नहीं मिला था। 25 साल के इस युवा तेज गेंदबाज के लिए ये स्थिति दबाव पैदा करने वाली थी, लेकिन टीम के हेड कोच राहुल द्रविड़ ने उनपर लगातार भरोसा जताया। एक महान पूर्व क्रिकेटर से मिले विश्वास और भरोसे ने आवेश को मैदान पर अपना बेस्ट देने के लिए प्रेरित किया। राजकोट के सौराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन स्टेडियम में उन्होंने अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया और 18 रन देकर चार विकेट अपने नाम किए। उन्होंने अपने इस बेहतरीन प्रदर्शन पर कहा, ‘‘ पिछले चार मैचों से टीम में बदलाव नहीं हुआ है जिसका श्रेय राहुल सर को जाता है। वह सभी को मौका देते हैं और लंबा मौका देते हैं। एक या दो खराब प्रदर्शन के बाद वह किसी को टीम से बाहर नहीं करते क्योंकि एक दो मैचों के आधार पर किसी खिलाड़ी का आकलन नहीं हो सकता। सभी को खुद को साबित करने के काफी मौके मिल रहे हैं।’’
‘राहुल सर के कारण पापा को गिफ्ट देने का मिला मौका’
इंदौर के इस गेंदबाज ने सीरीज के शुरुआती तीन मैचों में मिली असफलताओं से आने वाले दबाव को झेला। कोच द्रविड़ की प्लानिंग ने उन्हें मैदान पर बनाए रखा और चौथे मैच में उनकी जिंदगी में वो पल आ ही गया, जिसे वे अपने पिता को समर्पित कर सकते थे। आवेश ने सीरीज में अपने अब तक के सफर को कुछ इस तरह से बयान किया, ‘‘हां मुझ पर दबाव था। तीन मैचों में मुझे विकेट नहीं मिली थी लेकिन राहुल सर और टीम मैनेजमेंट ने मुझे लगातार मौका दिया और मैने चार विकेट लिए। मेरे पापा का बर्थडे था तो मेरी तरफ से उन्हें यह तोहफा था।’’
इस बेहतरीन प्रदर्शन के बाद कई फैंस और आलोचक उनके साथ टीम इंडिया का भविष्य देख रहे हैं। लेकिन टी20 वर्ल्ड कप टीम में जगह बनाने की संभावना के बारे में आवेश का मानना है कि चयन उनके हाथ में नहीं है। वह हर मैच में सिर्फ अपना शत प्रतिशत देना चाहते हैं ताकि बाद में उन्हें कोई मलाल ना रहे।
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