Asia Cup 2023: भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI) की वार्षिक बैठक (AGM) का मंगलवार को मुंबई में आयोजन हुआ। इस बैठक के बाद सचिव जय शाह ने स्पष्ट किया कि भारतीय टीम अगले साल एशिया कप के लिए पाकिस्तान का दौरा नहीं करेगी और टूर्नामेंट को तटस्थ स्थल पर कराए जाने की मांग करेगी। आपको बता दें कि एशिया कप 2023 का सत्र 50 ओवर के प्रारूप में खेला जाना है। भारत में आयोजित होने वाले विश्व कप से पहले खेले जाने वाले इस टूर्नामेंट की मेजबानी पाकिस्तान को सौंपी गई है।
जय शाह ने किया ऐलान
बीसीसीआई की वार्षिक आम बैठक (एजीएम) के बाद शाह ने कहा, ‘‘हमने फैसला किया है कि हम पाकिस्तान नहीं जाएंगे। हम तटस्थ स्थान पर खेलेंगे।’’ जय शाह को इस एजीएम में दूसरे कार्यकाल के लिए सचिव के रूप में फिर से चुना गया है। वह एशियाई क्रिकेट परिषद (ACC) के भी अध्यक्ष हैं। इससे पहले भी एशिया कप का आयोजन तटस्थ स्थल पर हो चुका है। मेजबान श्रीलंका ने आर्थिक संकट के बीच एशिया कप 2022 की मेजबानी करने में असमर्थता जताई थी जिसके बाद इसका आयोजन संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में किया गया था।
सिर्फ मल्टीनेशन टूर्नामेंट में खेलते हैं भारत-पाक
भारत और पाकिस्तान की टीमें दोनों देशों के बीच राजनीतिक तनाव के कारण केवल एशिया कप और आईसीसी टूर्नामेंट में ही एक-दूसरे के खिलाफ खेलती हैं। दोनों टीमों ने पिछले महीने एशिया कप में दो बार एक-दूसरे का सामना किया था। अब दोनों टीमें 23 अक्टूबर को मेलबर्न में भिड़ेंगी। इससे पहले पिछले साल टी20 वर्ल्ड कप 2021 में भी भारत-पाकिस्तान का आमना-सामना हुआ था।
बीसीसीआई की एजीएम में यह भी बताया गया कि, बीसीसीआई के खजाने में पिछले तीन वर्षों में लगभग 6000 करोड़ रुपS की वृद्धि हुई है। निवर्तमान कोषाध्यक्ष और आईपीएल (इंडियन प्रीमियर लीग) के नS अध्यक्ष अरुण धूमल ने राज्य इकाइयों को सूचित किया कि पिछले तीन वर्षों में बीसीसीआई का खजाना 3648 करोड़ रुपए से बढ़कर 9629 करोड़ रुपए हो गया है। गांगुली के नेतृत्व वाले प्रशासन ने 2019 में उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति (सीओए) के 33 महीने के कार्यकाल के बाद कार्यभार संभाला था।
धूमल ने यहां अपने संबोधन में कहा, ‘‘मौजूदा टीम ने 2019 में जब बीसीसीआई की बागडोर संभाली, तब उसके खजाने में 3648 करोड़ रुपये थे। आज इसके खजाने में 9629 करोड़ रुपये का कोष है। राज्य संघों को दी जाने वाली रकम में पांच गुना इजाफा हुआ है। सीओए के कार्यकाल के समय राज्य संघों को 680 करोड़ रुपये दिये जाते थे जो अब बढ़कर 3295 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।’’
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