A
Hindi News खेल क्रिकेट आइसक्रीम बेचने वाले ने बेटे को बनाया क्रिकेटर, आज बेटा अपने ही नाम के स्टेडियम में खेल रहा रणजी का मैच

आइसक्रीम बेचने वाले ने बेटे को बनाया क्रिकेटर, आज बेटा अपने ही नाम के स्टेडियम में खेल रहा रणजी का मैच

रणजी के एक मैच में अजूबा हो गया जब एक खिलाड़ी अपने ही नाम के स्टेडियम में क्रिकेट मैच खेलने के लिए उतरा।

Abhimanyu Easwaran- India TV Hindi Image Source : GETTY Abhimanyu Easwaran

बंगाल के सलामी बल्लेबाज अभिमन्यु ईश्वरन मंगलवार को उत्तराखंड के खिलाफ रणजी ट्रॉफी मैच खेल रहे हैं। इस मैच में दिलचस्प बात यह है कि यह पहली बार है जब 27 वर्षीय खिलाड़ी अपने नाम के स्टेडियम में प्रथम श्रेणी का मैच खेल रहे हैं। अभिमन्यु के पिता रंगनाथन परमेश्वरन ईश्वरन ने 2005 में देहरादून में एक जमीन खरीदा और अभिमन्यु क्रिकेट अकादमी स्टेडियम नामक प्रथम श्रेणी क्रिकेट स्टेडियम बनाने के लिए अपनी जेब से खूब पैसे खर्च कर दिए। आज उनका बेटा इसी स्टेडियम में मैच खेल रहा है।

अभिमन्यु के लिए गर्व का विषय

अभिमन्यु ने मैच से पहले इस स्टेडियम को लेकर कहा कि "मेरे लिए एक ऐसे मैदान पर रणजी खेल खेलना एक गर्व की बात है जहां मैंने एक युवा लड़के के रूप में अपना सारा क्रिकेट सीखा है। यह उनके पिता के प्यार और कड़ी मेहनत का परिणाम है और घर पर लौटना हमेशा एक शानदार अहसास रहता है, लेकिन एक बार जब आप मैदान पर होते हैं, तो ध्यान बंगाल के लिए खेल जीतने पर होता है।"

इस स्टार युवा क्रिकेटर ने अब तक कुल 19 शतक बनाए हैं और हाल ही में बांग्लादेश में हुए टेस्ट सीरीज में भारतीय टीम का हिस्सा थे। दिग्गज क्रिकेटरों के रिटायरमेंट के बाद उनके नाम वाले स्टेडियम कोई नई बात नहीं हैं, ऐसे कई उदाहरण हैं जहां खिलाड़ी अपने नाम से स्टेडियम में एकेडमी चलाते हैं। चाहें एंटीगुआ में विव रिचर्ड्स मैदान हो, तरौबा (त्रिनिदाद और टोबैगो) में ब्रायन लारा स्टेडियम, या ब्रिस्बेन में एलन बॉर्डर मैदान, दिग्गजों ने अपने शानदार करियर को समाप्त करने के बाद मैदानों और स्टेडियमों को शुरू कर उनमें नए टेलेंट को मौका सिखाते हैं, लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है जब कोई खिलाड़ी अपने ही नाम के स्टेडियम मैच खेल रहा हो। उस संबंध में, अभिमन्यु का 'अभिमन्यु स्टेडियम' में खेलना वास्तव में पिता और पुत्र दोनों के लिए एक विशेष अवसर है।

 

संघर्ष से भरा रहा पिता का जीवन

उनके पिता आरपी ईश्वरन ने रणजी ट्रॉफी खेल से पहले कहा कि "हां, मुझे नहीं लगता कि ऐसे कई उदाहरण हैं, लेकिन मेरे लिए यह कोई उपलब्धि नहीं है। हां, यह अच्छा लगता है, लेकिन असली उपलब्धि तब होगी जब मेरा बेटा भारत के लिए 100 टेस्ट खेल सके। यह एक स्टेडियम है जिसे मैंने बनाया है। मैंने 2006 में (इसका) निर्माण शुरू किया था और मैं अभी भी इसे लगातार अपग्रेड करने के लिए अपनी जेब से खर्च कर रहा हूं। कोई रिटर्न नहीं है लेकिन यह खेल के लिए मेरे प्यार के बारे में है। मैं एक समाचार पत्र विक्रेता था और अपनी सीए की डिग्री पूरी करने के बाद देहरादून में आइसक्रीम बेचता था। मैं खेल को वापस देना चाहता था और यह मेरा सौभाग्य है कि भगवान ने मुझे एक बेटा दिया जो क्रिकेट भी खेलता है।"

उनके पिता को इस बात का गर्व है कि उनका बेटा भारत 'ए' टीम का कप्तान है। उन्हें इस बात की संतुष्टि है कि उनके एकेडमी से अब तक कुल पांच खिलाड़ी उत्तराखंड की रणजी टीम के लिए क्रिकेट खेल चुके हैं। जिसमें सीमर दीपक धपोला भी शामिल हैं, जिन्होंने आखिरी गेम में आठ विकेट हासिल किए थे। उनके पिता ने आगे कहा कि मोहम्मद शमी, श्रेयस अय्यर और दिनेश कार्तिक जैसे खिलाड़ी यहां आ चुके हैं। उन्होंने बताया कि उनके पास कुल 60 कमरे हैं, वहीं 20 छात्रावास के कमरे भी मौजूद हैं। उनके स्टेडियम में फ्लडलाइट, बारिश में अंदर प्रैक्टिस करने, अत्याधुनिक व्यायामशाला, स्टाफ क्वार्टर, इन-हाउस लॉन्ड्री, बेकरी जैसी सुविधाएं मौजूद हैं।

Latest Cricket News