युवराज सिंह का खुलासा, रिटायरमेंट के बाद आईपीएल में नहीं बल्कि यहां खेलेंगे क्रिकेट!
युवराज सिंह ने रिटायरमेंट के दौरान कहा 'वह जीवन का लुत्फ’ उठाना चाहते हैं और बीसीसीआई से स्वीकृति मिलने पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न टी20 लीग में फ्रीलांस खिलाड़ी के रूप में खेलना चाहते हैं। लेकिन अब वह इंडियन प्रीमियर लीग में नहीं खेलेंगे।'
कैंसर पर विजय हासिल करने के आठ साल बाद भावुक युवराज सिंह ने सोमवार को उतार चढ़ाव से भरे अपने करियर को अलविदा कहने की घोषणा की जिसमें उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि भारत की 2011 की विश्व कप जीत में अहम योगदान रहा। प्रतिभा के धनी इस करिश्माई खिलाड़ी को सीमित ओवरों की क्रिकेट का दिग्गज माना जाता रहा है लेकिन उन्होंने इस टीस के साथ संन्यास लिया कि वह टेस्ट मैचों में अपेक्षित प्रदर्शन नहीं कर पाये।
युवराज सिंह ने रिटायरमेंट के दौरान कहा 'वह जीवन का लुत्फ’ उठाना चाहते हैं और बीसीसीआई से स्वीकृति मिलने पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न टी20 लीग में फ्रीलांस खिलाड़ी के रूप में खेलना चाहते हैं। लेकिन अब वह इंडियन प्रीमियर लीग में नहीं खेलेंगे।'
उन्होंने कहा,‘‘यह इस खेल के साथ एक तरह से प्रेम और नफरत जैसा रिश्ता रहा। मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता कि वास्तव में यह मेरे लिये कितना मायने रखता है। इस खेल ने मुझे लड़ना सिखाया। मैंने जितनी सफलताएं अर्जित की उससे अधिक बार मुझे नाकामी मिली पर मैंने कभी हार नहीं मानी।’’
बायें हाथ के इस बल्लेबाज ने अपने करियर के तीन महत्वपूर्ण क्षणों में विश्व कप 2011 की जीत और मैन आफ द सीरीज बनना, टी20 विश्व कप 2007 में इंग्लैंड के खिलाफ एक ओवर में छह छक्के जड़ना और पाकिस्तान के खिलाफ लाहौर में 2004 में पहले टेस्ट शतक को शामिल किया। विश्व कप 2011 के बाद कैंसर से जूझना उनके लिये सबसे बड़ी लड़ाई थी। उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस बीमारी से हार मानने वाला नहीं था। ’’
इसके बाद हालांकि उनकी फार्म अच्छी नहीं रही। उन्होंने भारत की तरफ से आखिरी मैच जून 2017 में इंग्लैंड के खिलाफ वनडे के रूप में खेला था। उन्होंने अपना अंतिम टेस्ट मैच 2012 में खेला था। इस साल आईपीएल में वह मुंबई इंडियन्स की तरफ से खेले लेकिन उन्हें अधिक मौके नहीं मिले। दक्षिण अफ्रीका में 2007 में खेले गये विश्व कप में उनकी उपलब्धि का कोई सानी नहीं है। उन्होंने किंग्समीड में स्टुअर्ट ब्राड के एक ओवर में छह छक्के लगाये थे जिसे क्रिकेट प्रेमी कभी भूल नहीं पाएंगे। इंग्लैंड के खिलाफ इस प्रदर्शन के दौरान उन्होंने केवल 12 गेंदों पर अर्धशतक पूरा किया जो कि एक रिकॉर्ड है।
युवराज वनडे में मध्यक्रम के मुख्य बल्लेबाज बन गये थे और इस बीच उन्होंने अपनी गेंदबाजी से भी प्रभावित किया। उन्होंने विश्व कप 2011 में अपनी आलराउंड क्षमता का शानदार नमूना पेश किया तथा 300 से अधिक रन बनाने के अलावा 15 विकेट भी लिये। इस दौरान उन्हें चार मैचों में मैन आफ द मैच और बाद में मैन आफ द टूर्नामेंट चुना गया। युवराज ने कहा, ‘‘विश्व कप 2011 को जीतना, मैन आफ द सीरीज बनना, चार मैन आफ द मैच हासिल करना सब सपने जैसा था जिसके बाद कैंसर से पीड़ित होने के कारण मुझे कड़वी वास्तविकता से रू ब रू होना पड़ा। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह सब तेजी से घटित हुआ और तब हुआ जब मैं अपने करियर के चरम पर था। मैं अपने परिवार और दोस्तों से मिले सहयोग को शब्दों में बयां नहीं कर सकता जो मेरे लिये उस समय मजबूत स्तंभ की तरह थे। बीसीसीआई और बीसीसीआई के तत्कालीन अध्यक्ष एन श्रीनिवासन ने भी मेरे उपचार के दौरान सहयोग किया। ’’
युवराज ने सौरव गांगुली और महेंद्र सिंह धोनी को अपना पसंदीदा कप्तान बताया तथा अपने करियर में जिन गेंदबाजों को खेलने में उन्हें मुश्किल हुई उनमें श्रीलंका के मुथैया मुरलीधरन और आस्ट्रेलिया के ग्लेन मैकग्रा का नाम गिनाया।