मैनचेस्टर। रवि शास्त्री ने मंगलवार को 1983 विश्व कप के पहले दिन यहां ओल्ड ट्रैफर्ड में वेस्टइंडीज के खिलाफ यादगार जीत को याद किया जिस अनपेक्षित नतीजे ने टीम में खिताब जीतने का ‘आत्मविश्वास’ भरा। भारतीय टीम ने इसके बाद फाइनल में जगह बनाई और वेस्टइंडीज की दिग्गज टीम को एक बार फिर हराकर 36 साल पूर्व अपना पहला विश्व खिताब जीता।
स्टेडियम के नवीनीकरण के संदर्भ में शास्त्री ने ‘बीसीसीआई.टीवी’ से कहा, ‘‘इस सब की शुरुआत 1983 की गर्मियों में यहीं हुई थी। भारत पहले दिन वेस्टइंडीज के खिलाफ खेला जो विश्व कप इतिहास में कभी नहीं हारा था। यहीं मुकाबला हुआ और भारत ने इसी मैदान पर वेस्टइंडीज को हराया। तब से काफी कुछ बदल गया है।’’
भारत ने वेस्टइंडीज के खिलाफ नौ जून 1983 को हुए इस मैच में जीत दर्ज की। भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए यशपाल शर्मा की 120 गेंद में 89 रन की पारी की बदौलत 60 ओवर में आठ विकेट पर 262 रन बनाए। रोजर बिन्नी और शास्त्री के तीन-तीन विकेट की बदौलत भारत ने इसके बाद वेस्टइंडीज को 228 रन पर समेट दिया।
शास्त्री ने कहा, ‘‘मैदान के पीछे रेल की पटरियां थी और मैं यह कभी नहीं भूल सकता। जब मैच करीबी हो गया तो जोएल गार्नर ने एक शॉट रेल की पटरियों पर मारा। मैं इस मैच को कभी नहीं भूल सकता क्योंकि मैंने अंतिम विकेट हासिल किया था।’’
अब भारतीय क्रिकेट टीम के मुख्य कोच की भूमिका निभा रहे शास्त्री ने कहा, ‘‘इस जीत ने सभी चीजों की शुरुआत की। इसने हमें आत्मविश्वास दिया कि हम किसी भी टीम को हरा सकते हैं। वेस्टइंडीज को हराने के बाद हम आगे बढ़ते गए। यहां वापस आकर अच्छा लग रहा है। 1983 ने भारतीय क्रिकेट का चेहरा बदल दिया।’’
भारत इसके दो हफ्ते बाद फाइनल में वेस्टइंडीज को एक बार फिर हराकर पहली बार विश्व चैंपियन बना।
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