भारत के खिलाफ ऑस्ट्रेलियाई महिला टीम के सामने आई यह बड़ी दिक्कत, मुख्य कोच ने बताई परेशानी
मोट ने स्पष्ट किया कि काम के बोझ के प्रबंधन को ध्यान में रखते हुए सभी शीर्ष खिलाड़ियों को प्रत्येक मैच में खेलने का मौका नहीं मिलेगा।
मुख्य कोच मैथ्यू मोट ने संकेत दिए हैं कि 20 दिन में एक टेस्ट सहित सात अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैचों के आयोजन के कारण ऑस्ट्रेलिया की महिला टीम भारत के खिलाफ सभी मैचों में अपनी सर्वश्रेष्ठ प्लेइंग XI नहीं उतार पाएगी।
सिडनी और मेलबर्न में कोविड-19 महामारी का प्रकोप है। ऐसे में भारतीय टीम के अलावा ऑस्ट्रेलिया की 18 में से 12 खिलाड़ी दो हफ्ते के कड़े क्वारंटीन से गुजर रही हैं और ‘क्रिकेट.कॉम.एयू’ की खबर के अनुसार उन्हें 21 सितंबर को मैकाय में होने वाले पहले महिला वनडे इंटरनेशनल से एक हफ्ता पहले की ट्रेनिंग की स्वीकृति मिलेगी।
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भारतीय टीम को दो हफ्ते के कड़े (कमरे में) क्वारंटीन के दौरान ट्रेनिंग की स्वीकृति नहीं है। मोट ने दो हफ्ते तक कमरे में क्वारंटीन से गुजर रही टीम की तेज गेंदबाजों एलिस पैरी, अनाबेल सदरलैंड, तायला व्लेमिंक, मेतलान ब्राउन और स्टेला कैंपबेल के संदर्भ में ‘91.3 स्पोर्टएफएम’ से कहा, ‘‘हमारे खेल विज्ञान से जुड़े लोगों का नर्वस होना जायज है। यहां उन्हें 14 दिन तक गेंदबाजी की स्वीकृति नहीं मिलेगी और इसके बाद वे बेहद व्यस्त कार्यक्रम का हिस्सा बनेंगी इसलिए हमें खिलाड़ियों का प्रबंधन सही रखना होगा।’’
मोट ने स्पष्ट किया कि काम के बोझ के प्रबंधन को ध्यान में रखते हुए सभी शीर्ष खिलाड़ियों को प्रत्येक मैच में खेलने का मौका नहीं मिलेगा।
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उन्होंने कहा, ‘‘सभी खिलाड़ी सभी मैचों में नहीं खेल पाएंगी, हमारी टीम में 18 खिलाड़ी हैं और हमारे पास कुछ युवा खिलाड़ी हैं। अनुभवी खिलाड़ी इससे निपटने का तरीका ढूंढ लेंगे क्योंकि उनके पास अनुभव है और उनका शरीर थोड़ा अधिक मजबूत है।’’
मोट ने कहा, ‘‘लेकिन युवा गेंदबाजों डार्सी ब्राउन, तायला व्लेमिंक, मेतलान ब्राउन को लेकर हमें सतर्क रहना होगा।’’ ऑस्ट्रेलिया की तेज गेंदबाज सदरलैंड पैर के ऊपरी हिस्से में स्ट्रेस फ्रेक्चर, ब्राउन पैर की मांसपेशियों में खिंचाव के बाद वापसी कर रही हैं जबकि व्लेमिंक को पैर, घुटने और कंधे में चोट का सामना करना पड़ा है।
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उन्होंने कहा, ‘‘आदर्श स्थिति में हम टेस्ट मैच आखिर में खेलते जिससे कि काम का बोझ धीरे धीरे बढ़ता लेकिन यह बीच में हो रहा है। इसलिए हमें अलग अलग प्रारूपों में अलग गेंदबाजों को उतारना होगा और इसका नतीजा यह होगा कि हम प्रत्येक मैच में अपनी सर्वश्रेष्ठ टीम को नहीं खिला पाएंगे।’’