2007 टी20 वर्ल्ड कप के बाद भारत क्यों नहीं जीत पाया खिताब? जानें क्या है कारण
भारत की नजरें इस बार 14 साल के सूखे को खत्म करने पर होगी। टीम इंडिया ने महेंद्र सिंह धोनी की अगुवाई में आईसीसी टी20 वर्ल्ड कप का पहला खिताब अपने नाम किया था।
आईसीसी टी20 वर्ल्ड कप 2021 यूएई और ओमान में 17 अक्टूबर से शुरू होने जा रहा है। भारत इस टूर्नामेंट में अपने अभियान की शुरुआत 24 तारीख को पाकिस्तान के खिलाफ मुकाबला खेलकर करेगी। भारत सुपर 12 के दूसरे ग्रुप में है जिसमें भारत-पाकिस्तान के अलावा न्यूजीलैंड और अफगानिस्तान की टीमें भी है। इस ग्रुप में क्वालीफायर राउंड के बाद दो और टीमें भी जुड़ेगी।
भारत की नजरें इस बार 14 साल के सूखे को खत्म करने पर होगी। टीम इंडिया ने महेंद्र सिंह धोनी की अगुवाई में आईसीसी टी20 वर्ल्ड कप का पहला खिताब अपने नाम किया था। मगर उसके बाद 5 टी20 वर्ल्ड कप में भारत जीत हासिल नहीं कर पाया है। 2007 में खिताब जीने के बाद भारत 2009, 2010 और 2012 में दूसरे राउंड में ही बाहर हो गया था। 2014 में टीम इंडिया ने शानदार वापसी करते हुए फाइनल तक का सफर तय किया, लेकिन वहां उन्हें श्रीलंका के हाथों हार का सामना करना पड़ा। 2016 टी20 वर्ल्ड कप भारत में खेला गया था, सबको उम्मीद थी कि भारत यह वर्ल्ड कप जीत सकता है मगर सेमीफाइनल में वेस्टइंडीज की टीम ने भारत का सपना तोड़ दिया।
आइए जानते हैं 2007 वर्ल्ड कप के बाद ऐसा क्या हुआ कि टीम इंडिया खिताब अपने नाम करने में कामयाब नहीं रही-
उम्मीदों का बोझ बढ़ा
2007 में जब भारत साउथ अफ्रीका में पहला वर्ल्ड कप खेलने गया था तो किसी को उम्मीद नहीं थी कि टीम यह खिताब जीतकर आएगी। मार्च 2007 में ही टीम इंडिया एकदिवसीय वर्ल्ड कप में बांग्लादेश के हाथों हार कर बाहर हुआ था। सितंबर में खेले गए इस वर्ल्ड कप में बीसीसीआई ने नए कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की अगुवाई में एक युवा टीम इस टूर्नामेंट में खेलने के लिए भेजी थी। उस टीम में सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, राहुल द्रविड़ और जहीर खान जैसे सितारे नहीं थे। क्रिकेट के नए फॉर्मेट का यह पहला वर्ल्ड कप था तो किसी ने इसे गंभीरता से नहीं लिया था। मगर धोनी की कप्तानी में भारत ने फाइनल में पाकिस्तान को चित किया और खिताब अपने नाम किया। इसके बाद पूरा देश इस वर्ल्ड कप को सीरियर लेने लगा और यहीं से टीम इंडिया पर उम्मीदों का बोझ बढ़ गया।
टूर्नामेंट में कॉम्पिटीशन बढ़ा
2007 वर्ल्ड कप के बाद इस फॉर्मेट ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खिंचा। टी20 वर्ल्ड कप के बाद भारत ने इंडियन प्रीमियर लीग शुरू की चिसने खूब सुर्खियां बटौरी, भारत को देखते-देखते कई देशों ने अपने यहां टी20 लीग का आयोजन कराना शुरू कर दिया। यहां से इस लीग में साल दर साल प्रतिस्पर्धा बढ़ती रही और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत टीमें तैयार होती रही। 70-80 के दशक तक वर्ल्ड क्रिकेट पर राज करने वाली वेस्टइंडीज की छवी धूमिल होने लगी थी, लेकिन इस फॉर्मेट ने एक बार फिर वेस्टइंडीज क्रिकेट को जिंदा कर दिया है। विंडीज की टीम ने 2012 और 2016 टी20 वर्ल्ड कप का खिताब अपने नाम किया। वेस्टइंडीज के अलावा इंग्लैंड, पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसी टीमें भी इस फॉर्मेट में अपना लोहा मनवा चुकी है।
गेंदबाजी अटैक
भारत जब 2007 वर्ल्ड कप खेलने गया था तो टीम में हरभजन सिंह, इरफान पठान, आरपी सिंह, अजीत अगरकर, एस श्रीसंत और जोगिंदर शर्मा जैसे गेंदबाज थे। यह गेंदबाज हर एक मैच में परफॉर्म कर टीम की जीत में अहम भूमिका निभाते थे। 2007 टी20 वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले टॉप 10 गेंदबाजों में आरसीपी सिंह और इरफान पठान का नाम था। इसके बाद जरूर जहीर खान, रविंद्र जडेजा और इशांत शर्मा भारत के लिए टी20 वर्ल्ड कप खेले, लेकिन वह अपनी छाप छोड़ने में नाकाम रहे।
परफेक्ट सलामी जोड़ी
टी20 फॉर्मेट के लिए कहा जाता है कि इसमें अगर किसी टीम को सफलता हासिल करनी है तो उसके सलामी बल्लेबाजों को निरंतर परफॉर्म करना होगा। भारत जब 2007 टी20 वर्ल्ड कप खेलने गया था तो यह काम वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभी की जोड़ी ने करके दिखाया था। वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर की जोड़ी ने पहले टी20 में 274 रन जोड़े थे। मगर इसके बाद कभी भारत को एक परफेक्ट सलामी जोड़ी नहीं मिली। 2007 वर्ल्ड कप के बाद भारत ने रोहित शर्मा, दिनेश कार्तिक और मुरली विजय जैसे खिलाड़ियों को भी आजमाया लेकिन वो सफल नहीं हो पाए। 2014 में भारत को रोहित धवन के रूप में एक बेहतरीन सलामी जोड़ी मिली थी और उस वर्ल्ड कप में टीम इंडिया फाइनल तक पहुंचने में कामयाब रही थी।