जब सचिन तेंदुलकर ने BCCI से की थी धोनी को कप्तान बनाने की सिफारिश, अब किया खुलासा
क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर ने खुलासा करते हुए बताया कि उन्हें कैसे लगने लगा था कि अब धोनी को टीम इंडिया का कप्तान बना देना चाहिए।
टीम इंडिया के पूर्व कैप्टन कूल महेंद्र सिंह धोनी ने हाल ही में 15 अगस्त की शाम को अचानक अन्तराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया। जिसके बाद सभी टीम इंडिया के खिलाड़ियों ने ना सिर्फ धोनी को आगे के जीवन के लिए शुभकामनाए दी बल्कि उनके सात बीतें कुछ ख़ास पलों को याद भी किया। इस कड़ी में क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर ने खुलासा करते हुए बताया कि उन्हें कैसे लगने लगा था कि अब धोनी को टीम इंडिया का कप्तान बना देना चाहिए।
तेंदुलकर ने धोनी के बारे में इंटरव्यू में पीटीआई से कहा, "मैं इसके विस्तार में नहीं जाऊंगा कि यह कैसे हुआ हां लेकिन जब मुझसे (बीसीसीआई के शीर्ष पदाधिकारियों ने) पूछा गया तो मैंने बताया कि मैं क्या सोचता हूं। मैंने कहा था कि मैं दक्षिण अफ्रीकी दौरे पर नहीं जाऊंगा क्योंकि मैं तब कुछ चोटों से परेशान था। लेकिन तब मैं स्लिप कॉर्डन में फील्डिंग करता था और धोनी से बात करता रहता था और मैंने तब समझा कि वह क्या सोच रहा है, फील्डिंग कैसे होनी चाहिए और तमाम पहलुओं पर मैं बात करता था।'
तेंदुलकर ने आगे कहा, ''मैंने उसकी मैच की परिस्थितियों के आकलन करने की क्षमता देखी और इस नतीजे पर पहुंचा कि उसके पास बहुत अच्छा क्रिकेटिया दिमाग है इसलिए मैंने बोर्ड को बताया कि मुझे क्या लगता है। धोनी को अगला कप्तान बनाया जाना चाहिए। वह धोनी की हर किसी को अपने फैसले के लिए मना देने की क्षमता से वह प्रभावित थे।''
तेंदुलकर ने आगे बताया कि मेरी और धोनी की सोच काफी मिलती जुलती थी। हम दोनों एक जैसा सोचते थे इसलिए मैने कप्तानी को लेकर धोनी का नाम सुझाया।
गौरतलब है कि धोनी को साल 2008 में टेस्ट टीम इंडिया की कप्तानी सौंपी गई थी। जबकि टीम में तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, वीवीएस लक्ष्मण, वीरेंद्र सहवाग, हरभजन सिंह और जहीर खान जैसे सीनियर खिलाड़ी शामिल थे। ऐसे में सीनियर के साथ धोनी के व्यवहार को लेकर तेंदुलकर ने कहा, "मैं केवल अपनी बात कर सकता हूं कि मेरी कप्तान बनने की कोई इच्छा नहीं थी। मैं आपसे यह कह सकता हूं कि मैं कप्तानी नहीं चाहता था और मैं टीम के लिए हर मैच जीतना चाहता था।"
तेंदुलकर ने अंत में कहा, "कप्तान कोई भी हो मैं हमेशा अपना शत प्रतिशत देना चाहता था। मुझे जो भी अच्छा लगता था मैं कप्तान के सामने उसे रखता था। फैसला कप्तान का होता था लेकिन उसके कार्यभार को कम करना हमारा कर्तव्य होता है। जब 2008 में धोनी कप्तान बना तब मैं लगभग 19 साल अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में बिता चुका था। इतने लंबे समय तक खेलने के बाद मैं अपनी जिम्मेदारी को समझता था।"