आचरेकर सर ने कहा था-'मेरे बाद तुम ही रहोगे': चंद्रकांत पंडित
वही, पंडित जिन्होंने कमजोर विदर्भ की दसों-दिशा बदल दी और उसे एक विजेता टीम में तब्दील कर दिया। बीते दो साल में दो रणजी ट्रॉफी और दो ईरानी कप खिताब इसकी बानगी हैं।
नई दिल्ली। रमाकांत आचेरकर भारतीय क्रिकेट में सम्मान से लिया जाने वाला नाम है। वजह है उनके शार्गिद। आचरेकर ने देश को सचिन तेंदुलकर, विनोद कांबली जैसे खिलाड़ी दिए, जिन्होंने बल्ले से अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में जमकर धूम मचाई, लेकिन एक और शख्स है जो पर्दे के पीछे रहकर आचरेकर के पद चिन्हों पर चल रहा है। उनका नाम है चंद्रकांत पंडित।
वही, पंडित जिन्होंने कमजोर विदर्भ की दसों-दिशा बदल दी और उसे एक विजेता टीम में तब्दील कर दिया। बीते दो साल में दो रणजी ट्रॉफी और दो ईरानी कप खिताब इसकी बानगी हैं। पंडित जब अपना कोचिंग करियर शुरू कर रहे थे तब वह अपने गुरु आचरेकर सर से आर्शिवाद लेने गए थे और तब आचरेकर ने उनसे वो बात कही थी, जिसे पंडित सिर माथे लिए घूमते हैं। आचरेकर ने पंडित से कहा था, "मेरे बाद तुम ही हो।"
पंडित कहते हैं कि उनके ऊपर आचरेकर सर का काफी प्रभाव है। आचरेकर जिस तरह से कोचिंग करते थे, उसकी कई बातें पंडित भी अपनी शैली में शामिल कर चुके हैं चाहे वो अनुशासन हो या खिलाड़ियों को गलतियों को लिखना, पंडित ने आचरेकर सर को जो करते देखा वह अब उसे एक कोच के तौर पर दोहरा रहे हैं।
पंडित ने आईएएनएस से फोन पर साक्षात्कार में कहा, "उनकी (आचरेकर) बुहत सारी चीजें मेरे अंदर आई हैं जैसे उनका आनुशासन, उनकी सख्ती, उनका बच्चों को मैच खेलाना। उनकी नोट डाउन करने की आदत थी वो मेरे अंदर आ गई है। वो बस की टिकट के पीछे हमारी गलतियां लिखते थे। वो मैं अब एक डायरी में लिखता हू। कभी कम्पयूटर में लिखता हूं। यह सभी चीजें मुझे उनसे आई हैं।"
पंडित ने आचरेकर की बात को याद करते हुए कहा, "जब मैं पहली बार मुंबई की अंडर-19 टीम का कोच बना था, तब मैं उनका आर्शीवाद लेने गया था तब उन्होंने मुझसे कहा था कि 'मेरे बाद ही तुम ही रहोगे।' यह मेरे लिए आचरेकर सर का आर्शिवाद था। सर के साथ मैं क्रिकेट की बारीकियां भी सीखा जो काफी मायने रखती हैं। वो चीजें मैं अभी भी बच्चों को बता रहा हूं। उसका काफी प्रभाव पड़ा है।"
पंडित कहते हैं कि उन्होंने आचरेकर के अलावा क्रिकेट में काफी लोगों से काफी कुछ सीखा और इस फेहरिस्त में पॉली उमरीगर, अशोक मांकड़ के नाम भी शामिल हैं।
पंडित ने कहा, "अशोक मांकड़ का भी मेरे ऊपर काफी प्रभाव रहा। उनसे मैंने सीखा कि रणनीति कैसे बनानी हैं, कैसे मैच जिताना है, खिलाड़ी से उसका सर्वश्रेष्ठ कैसे निकालना है। यह सब मैंने अशोक मांकड़ से सीखा।"
उन्होंने कहा, "पिच को पढ़ने के बारे में मैंने पॉली उमरीगर से काफी कुछ सीखा। पिच पढ़ना आसान नहीं होता। जब मैं मुंबई की कप्तानी कर रहा था तब उनके साथ बैठकर मैंने काफी कुछ सीखा। इसने मुझे काफी मेरी मदद की।"
पंडित ने कहा कि वह जब खेल रहे थे तब भी वह अपने सीनियर और साथी खिलाड़ियों से सीखते रहते थे जो आज उनके बहुत काम आ रहा है।
बकौल पंडित, "दिलीप वेंगरसकर के सामने जब मैं खेल रहा था तब उन्होंने मुझे बताया था कि गेंदबाजों को कैसे खेलना है। गावस्कर के साथ जब मैं खेल रहा था तब उन्होंने बताया था कि आपको अगर अपने खेल में सुधार करना है तो आपको मैच को गंभीरता से देखना होगा। मैंने कई खिलाड़ियों, प्रशिक्षकों से काफी कुछ सीखा है जो आज मेरे काम आ रहा है। मैं खिलाड़ियों को यही सब बातें बताता हूं।"
पंडित ने सिर्फ विदर्भ को ही नहीं मुंबई को रणजी ट्रॉफी खिताब दिलाए हैं। पंडित को उनकी सख्त शैली के लिए जाना जाता है लेकिन विदर्भ के खिलाड़ी कहते हैं कि पंडित जो करते हैं वो खिलाड़यों की बेहतरी के लिए करते हैं और इसी कारण खिलाड़ी अपने कम्फर्ट जोन से बाहर आकर शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं।