VIDEO : विराट कोहली ने बताया कैसे 2014 में इंग्लैंड दौरे पर हुई गलतियों से सीख लेकर मचाया 2018 में धमाल
विराट कोहली ने इस दौरान बताया कि कैसे उन्होंने सचिन तेंदुलकर और रवि शास्त्री की मदद से अपनी तकनीक पर काम किया और 2018 इंग्लैंड दौरे पर रनों का अंबार लगाया।
भारतीय कप्तान विराट कोहली की गिनती दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में की जाती है। कोहली की लाजवाब बल्लेबाजी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वर्ल्ड क्रिकेट में विराट कोहली इस समय ऐसे बल्लेबाज हैं जो तीनों फॉर्मेट में 50 से अधिक की औसत से रन बना रहे हैं। लेकिन वो कहते हैं ना हर किसी खिलाड़ी के करियर में एक बुरा वक्त आता है जब वह चाह कर भी कुछ नहीं कर पाता। ऐसे ही समय विराट कोहली के करियर में 2014 में आया था।
इस दौरान इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में विराट कोहली अपनी फॉर्म से बुरी तरह जूझ रहे थे। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि विराट कोहली ने 5 मैच की 10 इनिंग में 13.40 की औसत से मात्र 134 रन बनाए थे। लेकिन विराट कोहली फिर भी इस टूर को अपने करियर का मील का पत्थर मानते हैं। विराट कोहली का कहना है कि अगर ये दौरा नहीं होता तो वह शायद ही इतने बड़े खिलाड़ी बन पाते।
विराट कोहली ने इसके बाद सचिन तेंदुलकर और रवि शास्त्री जैसे काफी बड़े दिग्गज खिलाड़ियों की मदद से अपने खेल में सुधार किया। 2018 में जब कोहली एक बार फिर इंग्लैंड दौरे पर गए तो सबकी नजरें उनक पर बनी हुई थी। इस बार विराट कोहली इंग्लैंड के तेज गेंदबाजों के जाल में नहीं फंसे और सीरीज में ताबड़तोड़ 593 रन जड़े। इस सीरीज में विराट कोहली सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज थे।
हाल ही में विराट कोहली ओपन नेट्स विद मयंक पर टीम इंडिया के सलामी बल्लेबाज मयंक अग्रवाल के साथ अपने इस बदलाव की बात की। विराट कोहली ने इस दौरान बताया कि कैसे उन्होंने अपनी तकनीक पर काम किया और 2018 इंग्लैंड दौरे पर रनों का अंबार लगाया।
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विराट कोहली ने कहा 'अगर मैं कहूं की 2018 में मैं नर्वस नहीं था तो यह झूठ होगा। पहला टेस्ट मैच शुरू होने से पहले मैं काफी नर्वस था। इंग्लैंड का 2014 का दौरा हमेशा मेरे करियर का नील का पत्थर रहेगा। लोग अपने अच्छे काम को नील का पत्थर मानते हैं, लेकिन मेरे लिए मेरे लिए यही मील का पत्थर है।'
विराट कोहली ने इसे मील का पत्थर इसलिए कहा क्योंकि अगर वह इस टूर पर फेल नहीं होते तो वह टेस्ट क्रिकेट में हमेशा वैसे खेलते रहते जैसा वो पहले खेल रहे थे। कोहली ने आगे कहा 'लिमिटेड ओवर क्रिकेट में जब आप कुछ गलत कर रहे होते हो तो आप तुरंत उसको ठीक करके अमल में लाते हो, लेकिन अगर आप टेस्ट क्रिकेट में रन नहीं बनाते हो तो यह एक क्रिकेट के लिए सबसे मुश्किल समय होता है। मुझे इसमें सुधार करने की बहुत जरूरत थी। अगर यह टूर नहीं आता तो मैं वैसे ही आगे खेलता रहता। मैं खुद में सुधार नहीं कर पाता। उस दौरे ने मुझे बैठ कर सोचने पर मजबूर कर दिया था कि मैं कैसे अपने अंतरराष्ट्रीय करियर को आगे बढ़ाऊंगा।'
मयंक अग्रवाल ने इसके बाद विराट कोहली से कहा कि हमने पढ़ा है कि आपने अपने दाए पैर की पोजिशन में कुछ बदलाव किए थे। क्या आप उस पर हमें कुछ बताना चाहेंगे।
इस पर विराट कोहली ने कहा 'इंग्लैंड दौरे पर मेरा हिप पोजिशन मेरे लिए सबसे बड़ी समस्या थी। अगर आप कंडीशन के हिसाब से नहीं ढलते और अड़े रहते हैं कि आपको जो करना है वो करेंगे तो चीजों पर अड़े रहने से आप कही नहीं जा पाओगे। यह मैंने जल्दी एहसास किया और यह दर्दनाक एहसास था।'
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कोहली ने आगे कहा 'मैं 2014 इंग्लैंड दौरे पर मैं सबसे ज्यादा चिंतित अंदर आती गेंदों से था जिस वजह से मैं पहले ही खुल जाता था और बाहर जाती गेंद हमेशा मुझे आउट कर रही थी। मैं इस कंफ्यूजन से उभर नहीं पा रहा था इसलिए मैंने वापस आते ही अपने वीडियो देखे कि मैं कहां गलती कर रहा हूं।'
कोहली ने इसी के साथ बताया कि जब वो इंग्लैंड दौरे से वापस भारत लौटे थे तो उन्होंने क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर के साथ कुछ सेशन लिए थे जिसमें उन्होंने अपनी कमियों पर काम किया था।
कोहली ने कहा 'जब मैं वापस आया तो मैंने सचिन पाजी से बात की उनके साथ कुछ सेशन किए। मैंने उस दौरान उनसे कहा कि मैं अपनी हिप पोजिशन पर काम कर रहा हूं तो उन्होंने कहा कि तेज गेंदबजों के खिलाफ आगे पैर निकालकर खेलने की जरूरत है। जब मैंने अपनी हिप पोजिशन के साथ ये करना शुरू किया तो ये काफी फायदेमंद साबित हुआ। इससे मुझे आत्मविश्वास मिला और मैंने ऑस्ट्रेलिया दौरे पर अच्छा खेल पाया।'
उन्होंने आगे कहा "मैं इस चीज पर ध्यान नहीं देता हूं कि इंग्लैंड के 2014 दौरे पर फेल होने के बाद लोग मेरे को कैसे देखेंगे। हां उस दौरे ने मुझे थोड़ा परेशान किया क्योंकि एक खिलाड़ी के तौर पर एक ही महीने में मेरी विश्वसनीयता कम हुई थी। जब आप जानते हो कि आप अच्छे हो, लेकिन जब आप देखते हो कि लोग आपके बारे में क्या बोल रहे है तो यह निराशाजनक होता है।"
2014 की गलतियों से विराट काफी कुछ सीख चुके थे और उन्हें इसके बाद कप्तानी की भी जिम्मेदारी मिल गई थी। 2018 में विराट बतौर कप्तान इंग्लैंड दौरे पर पहुंचे जहां उन्होंने टीम को आगे से लीड किया। कोहली ने कहा '2018 दौरे पर मैं एक खिलाड़ी के साथ साथ बतौर कप्तान भी गया था तो मुझे आगे से टीम को लीड करना था। हां मैं पहले मैच से पहले नर्वस था क्योंकि मैं एक अच्छी शुरुआत चाहता था। मैं टीम के लिए जितना कर पाऊं मैं उसके लिए खुश हूं। इंग्लैंड को महने उस सीरीज में काफी कड़ी चुनौती दी, लेकिन हम वो सीरीज हार गए। सीरीज हारने से हम निराश नहीं हुए क्योंकि हमने अच्छा क्रिकेट खेला था। यह आत्मविश्वास बढ़ाने वाली सीरीज थी।'
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2014 इंग्लैंड दौरे पर रवि शास्त्री ने मुझे और शिखर धवन को बैट के साथ अपने कमरे में बुलाया था। उन्हें खेल की काफी अच्छी समझ है। कई बार छोटी चीजें भी बड़ा अंतर पैदा कर देती है। उन्हें पता है क्योंकि उन्होंने निचले क्रम से बल्लेबाजी करते हुए भारत के लिए सलामी बल्लेबाजी की है और इस दौरान उनका औसत 40 से अधिक का रहा है और उन्होंने पूरी दुनिया में रन बनाए हैं। उनको खेल की समझ काफी अच्छी है।
विराट कोहली ने इसी के साथ बताया कि उनके स्टांस बदलने में मदद सचिन के अलावा रवि शास्त्री और डंकिन फ्लेचर ने भी की थी। विराट कोहली ने बताया 'शास्त्री के कहने पर ही मैंने क्रीज के बाहर खड़े होकर खेलना शुरू किया था। उन्होंने इसके पीछे की सोच भी बताई थी। उन्होंने कहा था कि अगर आप अपने खेल पर कंट्रोल कर रहे हो तो गेंदबाज आपको आउट नहीं कर पाएगा। क्रीज के बाहर खड़े होने से कई आउट होने के मौके बचे। मैंने ऑस्ट्रेलिया दौरे पर इसे आजमाया और यह अविश्वसनीय था।'
कोहली ने कहा 'इसके बाद मैंने बड़े पैर खोलकर बल्लेबाजी करना शुरू किया जिसकी सलाह मुजे डंकिन फ्लेचर ने दी थी। उन्हें भी खेल की काफी अच्छी समझ है और उनके साथ काम करने में काफी मजा आया था। इससे मुझे आगे की गेंद खेलने में आसानी हुई। तब उन्होंने मुझे पूछा था कि तुम इस स्टांस के साथ शॉर्ट पिच गेंद खेलने में सहज हो तो मैंने कहा हां, तो उन्होंने जवाब दिया कि फिर यह तुम्हारे बहुत काम आएगा।'
कोहली ने अंत में कहा 'रवि भाई ने भी मेरे से पूछा था कि तुम शॉर्ट बॉल खेलने से डरते हो क्या। तो मैंने मना किया था। तो उन्होंने कहा था कि फिर अच्छा है तुम क्रीज के बाहर खड़े होकर खेलो। मैंने कहा था मैं चोट से नहीं डरता बस आउट नहीं होना चाहता। 2018 में इंग्लैंड के खिलाफ पहला मैच खेलने से पहले रवि भाई ने मुझे प्रैक्टिस करते हुए देखा तो उन्होंने मुझे कहा कि मैं क्रीज के बाहर खड़ा होकर क्यों नहीं खेल रहा हूं। क्यों तूम भूल गए हो। तो मैं दोबारा नेट्स में गया और 40 मिनट क्रीज के बाहर खड़े होकर बल्लेबाजी की। तब मैं काफी अच्छी बल्लेबाजी कर रहा था।'