24 साल के करियर में सचिन के पूरे नहीं हुए ये दो सपने, जिसका उन्हें है मलाल
तमाम उपलब्धियां अपने नाम करने के बावजूद सचिन को अपने करियर में कुछ चीज़ों का मलाल रह गया है। जिसके बारे में उन्होंने अब खुलकर बताया है।
अपने 24 साल के क्रिकेट करियर में सचिन तेंदुलकर का सबसे बड़ा सपना देश के लिए विश्वकप जीतना था। जो महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में क्रिकेट के भगवान् कहे जाने वाले सचिन ने 2011 विश्वकप जीत पूरा कर लिया था। इतना ही नहीं सचिन ने क्रिकेट के मैदान में कई ऐसे रिकॉर्ड कायम किए जिसे हासिल करना लगभग नामुमकिन माना जाता है। इसमें उनके 100 शतकों का रिकॉर्ड भी शामिल है। ऐसे में तमाम उपलब्धियां अपने नाम करने के बावजूद सचिन को अपने करियर में कुछ चीज़ों का मलाल रह गया है। जिसके बारे में उन्होंने अब खुलकर बताया है।
बहुत ही कम उम्र में अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में कदम रखने के कारण सचिन ने अपने लम्बे करियर में कई बल्लेबाजों के साथ खेला है। जबकि कई दिग्गज गेंदबाज जैसे कि वसीम अकरम, वकार युनुस, ग्लेन मैकग्रा और जेसन गिलेस्पी इनके सामने अपनी बल्लेबाजी का जलवा दिखाया है। इस तरह कई खिलाड़ियों के साथ खेलने के बावजूद उन्हें क्रिकेट के मैदान में इन दो खिलाड़ियों के साथ बल्लेबाजी करने का मौका नहीं जिसके चलते उन्हें इस बात का काफी अफ़सोस रहता है।
जी हाँ, सचिन तेंदुलकर हमेशा से भारत के पूर्व दिग्गज बल्लेबाज सुनील गावस्कर और वेस्टइंडीज के पूर्व दिग्गज बल्लेबाज विवियन रिचर्ड्स के साथ खेलना चाहते थे, मगर ये संभव ना हो सका। जिस बात का उन्हें अपने जीवन में काफी मलाल है।
क्रिकेट. कॉम को दिए एक इंटरव्यू में सचिन ने अपने क्रिकेट करियर के दो मलालों पर बात करते हुए कहा, ''मुझे दो अफसोस है। पहला यह कि मैं कभी सुनील गावस्कर के साथ नहीं खेल पाया। जब मैं बड़ा हो रहा था, तब से मिस्टर गावस्कर मेरे बैटिंग हीरो रहे हैं। मुझे इस बात का हमेशा अफसोस रहेगा कि मैं उनके साथ नहीं खेल पाया। मिस्टर गावस्कर मेरे डेब्यू से कुछ साल पहले ही रिटायर हो गए थे।''
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वहीं अपने दूसरे अफसोस के बारे में बताते हुए सचिन ने कहा, ''मेरा दूसरा मलाल है कि मैं अपने बचपन के हीरो सर विवियन रिचर्ड्स के खिलाफ नहीं खेल पाया। मैं खुद को सौभाग्यशाली मानता हू्ं कि काउंटी क्रिकेट में मुझे उनके खिलाफ खेलने का मौका मिला, लेकिन फिर भी मैं इंटरनेशनल क्रिकेट में उनके खिलाफ नहीं खेल पाया और इसका मुझे अफसोस है। भले ही सर रिचर्ड्स 1991 में रिटायर हुए हों और हमारे करियर में कुछ साल ओवरलैप हुए, लेकिन हमें एक-दूसरे के खिलाफ खेलने को नहीं मिला।''