लंदन। इंडियन प्रीमियर लीग के हितधारकों और फ्रेंचाइजी मालिकों की लंदन में इस सप्ताह हुई बैठक में टीमों की संख्या को आठ से 10 करने पर चर्चा हुई। हालांकि यह पहली बार नहीं होगा जब इस लीग में 10 टीमें भाग लेगी। इससे पहले 2011 में भी आईपीएल में 10 टीमों ने भाग लिया था जिसमें कोच्चि और पुणे की फ्रेंचाइजी टीमें थी।
कोच्चि फ्रेंचाइजी और बीसीसीआई के बीच अनुबंध संबंधित विवाद के कारण टीम टूर्नामेंट में महज एक सत्र में खेल पायी। सहारा समूह की पुणे वारियर्स ने भी 2013 के बाद खुद को लीग से बाहर कर लिया था जिसके बाद 2014 से इस लीग में फिर से आठ टीमें हो गयी।
लंदन में हुई बैठक में भाग लेने वाली टीम के एक अधिकारी ने पीटीआई को बताया, ‘‘हमने टीमों की संख्या बढ़ाने के बारे में चर्चा की लेकिन यह अनौपचारिक चर्चा थी। वैसे भी इस मुद्दे पर फैसला करने का अधिकार टीमों के पास नहीं है, बीसीसीआई को फैसला करना है लेकिन हम इस विचार पर चर्चा के लिए तैयार हैं।’’
इस अधिकारी ने कहा, ‘‘ इस मुद्दे पर चर्चा हुई थी लेकिन यह अनौपचारिक थी। इस पर मुद्दे पर कैसे आगे बढ़ा जाए, इसकी कोई ठोस योजना नहीं है। ज्यादा टीमों का मतलब है कि ज्यादा मैच होंगे यानी टूर्नामेंट भी ज्यादा लंबे समय तक चलेगा।’’
इससे पहले स्पॉट फिक्सिंग प्रकरण में फंसने के कारण चेन्नई सुपर किंग्स और राजस्थान रायल्स की टीमों के निलंबित होने के बाद इस लीग में दो सत्र के लिए राइजिंग पुणे सुपर जाइंट्स और गुजरात लायन्स ने भाग लिया था।
संजीव गोयंका की राइजिंग पुणे सुपर जायंट्स की टीम 2017 में अपने दूसरे प्रयास में ही टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंची थी। गोयंका ने दो साल के बाद भी लीग में बने रहने की इच्छा जतायी थी। एक अन्य अधिकारी ने भी बैठक में आईपीएल के विस्तार पर चर्चा की पुष्टि की।
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