टीम इंडिया की सबसे बड़ी ताक़त उसके स्पिनर बॉलर्स रहे हैं. बिशन सिंह बेदी, चंद्रशेखर से लेकर अनिल कुंबले, हरभजन सिंह और आर अश्विन जैसे भारतीय स्पिनर्स ने कई बार भारतीय टीम की डूबती नैया को उबारने का काम किया है. इस कड़ी में अब एक नया नाम जुड़ने लगा है और वो है लेग स्पिन गेंदबाज युज़वेंद्र चहल.
कलाई से गेंद घुमाकर देते हैं चकमा
चहल की ख़ूबी है उनकी कलाई जिससे वह गेंद को घुमा कर बल्लेबाज़ों को चकमा देते हैं. युज़वेंद्र पिछले कुछ समय से बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं. चहल विकेट तो लेते ही हैं साथ ही वह काफी रन देने के मामले में बी बहुत कंजूस हैं यानी किफायती गेंदबाज़ भी हैं. इनकी चतुराई से भरी गेंदबाज़ों के आगे बल्लेबाजों के लिए रन बनाना मुश्किल हो जाता है. श्रीलंका के खिलाफ पहले टी-20 मैच में भी चहल ने कई रिकॉर्ड अपने नाम किए हैं. चहल मैच में चार विकेट लेकर इस साल टी-20 क्रिकेट में सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज़ बन गए हैं लेकिन चहल के लिए यहां तक पहुंचने का सफ़र काफ़ी दुश्वारियों से भरा रहा है.
खेत में पिता ने बनवाई थी ख़ास पिच
भारतीय टीम में जगह बनाने के लिए चहल ने सात साल तक खेतों में गेंदबाज़ी का अभ्यास किया. इस काम में चहल के पिता केके चहल ने भी ख़ूब साथ दिया. 2004 में चहल के पिता ने अपने डेढ़ एकड़ खेत में युज़वेंद्र के लिए स्पेशल पिच तैयार करवाई. जहां सात साल तक लगातार प्रैक्टिस करने के बाद चहल को 2011 में अंडर-19 के लिए बुलाया गया. युज़वेंद्र के पिता पेशे से एक वकील हैं और वो आज भी कोर्ट में प्रैक्टिस के लिए जाते हैं.
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