साल 2002 में नेटवेस्ट सीरीज जीतने के बाद टीम इंडिया हो गई थी 'आपे से बाहर' - सौरव गांगुली
सौरव गांगुली की कप्तानी का अहम रोल रहा है। उनकी कप्तानी में टीम इंडिया ने ना सिर्फ निडर होकर क्रिकेट खेलना सीखा बल्कि विदेशी सरजमीं पर जीत का परचम लहराना भी सीखा
भारतीय क्रिकेट के इतिहास में सौरव गांगुली की कप्तानी का अहम रोल रहा है। उनकी कप्तानी में टीम इंडिया ने ना सिर्फ निडर होकर क्रिकेट खेलना सीखा बल्कि विदेशी सरजमीं पर जीत का परचम लहराना भी सीखा। गांगुली ने अपनी कप्तानी में कई युवा खिलाड़ी जैसे मोहम्मद कैफ, युवराज सिंह और टीम इंडिया के पूर्व विश्व विजेता कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को भी मौका दिया। जिन्होंने आगे चलकर क्रिकेट जगत में काफी नाम कमाया। इस तरह गांगुली अपनी कप्तानी में टीम इंडिया को विश्वकप तो नहीं जिता पाए लेकिन उनकी कप्तानी में टीम इंडिया ने साल 2002 में इंग्लैंड में नेटवेस्ट सीरीज जरूर जीती। जिसमें उनके टी-शर्ट उतारकर जश्न मनाने वाला द्रश्य आज भी फैंस के दिलों में जिंदा है।
ऐसे में टीम इंडिया के पूर्व कप्तान और वर्तमान में बीसीसीआई अध्यक्ष पद पर कार्यरत सौरव गांगुली ने इंग्लैंड की जीत को याद करते हुए बीसीसीआई ट्विटर हैंडल पर टेस्ट टीम के सलामी बल्लेबाज मयंक अग्रवाल के साथ बातचीत में कहा, "वो शानदार पल था। हम आपे से बाहर हो गए थ, लेकिन यही खेल है। जब आप इस तरह के मैच जीतते हो तो आप ज्यादा जश्न मनाते हो। वो महान मैचों में से एक है जिनका मैं हिस्सा रहा।"
गौरतलब है कि भारत ने 13 जुलाई 2002 को गांगुली की कप्तानी में इंग्लैंड द्वारा रखे गए 326 रनों के लक्ष्य को सफलतापूर्वक हासिल किया था और जीत दर्ज की थी। इस मैच में मोहम्मद कैफ ने नाबाज 87 और युवराज सिंह ने 69 रनों की पारी खेली थी। दोनों ने अहम समय पर बेहतरीन साझेदारी कर टीम को जीत दिलाई थी।
वहीं इसके विपरीत गांगुली से जब 2003 विश्व कप के फाइनल को लेकर पूछा गया तो उन्होंने कहा, "दोनों मैचों की अपनी-अपनी जगह है। विश्व कप फाइनल का भी अलग स्थान है। हमें आस्ट्रेलिया ने बुरी तरह से हरा दिया था। वो इस पीढ़ी की सर्वश्रेष्ठ ठीम थी।"
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उन्होंने कहा, "नेटवेस्ट का अपना अलग स्थान है। आप इंग्लैंड में शनिवार को लॉर्ड्स में मैच जीतते हो। खचाखच भरे स्टेडियम में जीतना शानदार एहसास था।"
बीसीसीआई अध्यक्ष ने कहा, "विश्व कप फाइनल-2019 वहां हुआ था और मैं वहां कॉमेंट्री कर रहा था। वो अविश्वस्नीय था।"