टीम इंडिया से बाहर होने के बाद संजय बांगर ने नए कोच विक्रम राठौर के लिए कही ये बड़ी बात
5 साल पहले उन्हें डंकन फ्लेचर की कोचिंग वाली टीम इंडिया में जोड़ा गया था।
आईसीसी विश्वकप 2019 के सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के हाथों हार झेलने के बाद टीम इंडिया के बल्लेबाजी कोच संजय बांगर का कार्यकाल वेस्टइंडीज दौरे तक बढ़ा दिया गया था। जिसके बाद कैरिबियाई मिशन पर वेस्टइंडीज का सूपड़ा साफ़ करके घर वापस लौटी टीम इंडिया के बल्लेबाजी कोच संजय बांगर का कार्यकाल खत्म हो गया। बांगर की जगह बल्लेबाजी कोच के रूप में पूर्व खिलाड़ी विक्रम राठौर को चुना गया।
ऐसे में संजय बांगर ने टीम इंडिया के साथ पिछले 5 साल से जारी कार्यकाल के समाप्त होने स्पोर्ट्सस्टार से बातचीत में नए कोच विक्रम को बधाई दी है। संजय ने कहा, "मुझे कोई पछतावा नहीं है क्योंकि मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया और मैं नए बल्लेबाजी व सहायक को विक्रम को भी शुभकामना देता हूं।"
संजय की कोचिंग में टीम इंडिया ने घर ही नहीं बल्कि घर से बाहर ऑस्ट्रेलिया में भी पहली बार ऐतिहासिक जीत दर्ज की। जिसके चलते उन्होंने कहा, "हमने 52 टेस्ट मैचों में से 30 जीते और 122 वनडे मैचों में 82 जीते। हमने 2014 से 2019 तक लगातार बेहतरीन प्रदर्शन किया और हमारी टीम ने लगभग सभी देशों को उनकी घरेलू परिस्थितियों में मात दी है। मैं इस 5 साल की अपने सफर पर बहुत गर्व महसूस करता हूं।”
बांगर के पांच साल के कार्यकाल में टीम इंडिया को टेस्ट क्रिकेट में मजबूत मिडिल आर्डर के साथ लोअर आर्डर में भी काफी फायदा मिला। जबकि टेस्ट क्रिकेट में सलामी बल्लेबाजी अभी भी समस्या बनी हुई है। जिस पर बांगर ने कहा, ”मैं टेस्ट मैचों में मजबूत मिडिल ऑर्डर वाली टीम इंडिया के साथ काफी खुश हूं। विकेटकीपर और लोअर ऑर्डर के बल्लेबाजी में मिल रहे योगदान से हमारी टीम की बल्लेबाजी में गहराई आ गई है। हमें अपने सलामी बल्लेबाजों को मजबूत करने की जरूरत है, खासकर विदेशी परिस्थितियों में। हमारी टीम का गेंदबाजी डिपार्टमेंट काफी मजबूत है इसलिए इस बारे में हमें जरा भी चिंता करने की जरूरत नहीं है।”
5 साल पहले उन्हें डंकन फ्लेचर की कोचिंग वाली टीम इंडिया में जोड़ा गया था। जिसके बाद उन्होंने पहले अनिल कुंबले और बाद में रवि शास्त्री के साथ शानदार अंदाज में काम किया। ऐसे में फ्लेचर, कुंबले और शास्त्री के बारे में बांगर ने कहा, “वे स्पष्ट रूप से अलग थे। डंकन की बल्लेबाजी तकनीक से संबंधित एक अलग ही नजरिया था। अनिल कुंबले आश्चर्यजनक रूप से मैथेडिकल थे और रवि शास्त्री मानसिक दृढता विकसित करने में अच्छे हैं। मैंने इन सभी से काफी कुछ सीखा है।”
आपको बता दें कि बांगर अपने कार्यकाल में वनडे क्रिकेट में टीम इंडिया को नंबर चार पर कोई भी स्थायी बल्लेबाज नहीं दे पाए। जिसे इनके टीम से बाहर किए जाने का प्रमुख कारण माना गया। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि नए बल्लेबाजी कोच चुने गए विक्रम राठौर इस समस्या का कितनी जल्दी हल निकालते हैं।