सुरेश रैना ने 2011 विश्वकप किया याद, जब धोनी के उदास चेहरे को देख उनके अंदर जागी जीत की भूख
रैना ने 2011 विश्वकप के ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ क्वार्टर फ़ाइनल मुकाबले को याद करते हुए उन्होंने कहा कि कैसे धोनी के मायूस चेहरे को देखकर उन्हें इस मैच में जीतने की प्रेरणा मिली थी।
टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने अपनी कप्तानी में आईसीसी के सभी टूर्नामेंट्स में टीम को एक बार जीत जरूर दिलाई है। जिसमें साल 2011 की विश्वकप जीत सबसे ख़ास है। 1983 में कपिल देव की कप्तानी में जीतने के 28 साल बाद भारतीयों को इस ख़ुशी में शामिल होने का दूसरा मौका मिला था। ऐसे में धोनी की टीम में शामिल उनके चेहते खिलाड़ी माने जाने वाले सुरेश रैना ने एक दिलचस्प खुलासा किया है। आकाश चोपड़ा के साथ सोशल मीडिया के जरिये हुई बात में रैना ने 2011 विश्वकप के ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ क्वार्टर फ़ाइनल मुकाबले को याद करते हुए उन्होंने कहा कि कैसे धोनी के मायूस चेहरे को देखकर उन्हें इस मैच में जीतने की प्रेरणा मिली थी।
दरअसल, भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच 2011 विश्व कप का दूसरे क्वार्टर फाइनल अहमदाबाद में खेल गया था। इस मैच में पहले बल्लेबाजी करते हुए ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पोंटिंग ने 118 गेंदों में शानदार 104 रनों की पारी खेली थी। जिसके दम पर ऑस्ट्रेलिया ने स्कोर बोर्ड पर 260 रनों का स्कोर टांग दिया था। इस टारगेट का पीछा करते हुए भारतीय टीम वीरेंद्र सहवाग का विकेट सस्ते में खो चुकी थी। इसके बाद सचिन तेंदुलकर (53) और गौतम गंभीर (50) ने टीम को संभलने में मदद की।
हालांकि भारत ने इस मैच में अपने विकेट जल्दी-जल्दी गंवाए। 38 ओवर में भारत का स्कोर 5 विकेट के नुकसान पर 187 रन था। भारत को जीत के लिए 75 गेंदों में 74 रनों की जरूरत थी। इस मैच में रैना ने 28 गेंदों में युवराज सिंह के साथ मिलकर 34 रनों की तेज तर्रार पारी खेली। युवराज सिंह के शानदार 57 रनों और रैना की तेज पारी के दम पर भारत ने इस मैच में जीत हासिल की थी।
इस तरह आकाश चोपड़ा के साथ बातचीत में सुरेश रैना ने बताया कि धोनी आउट होने के बाद काफी उदास हो गए थे। उनके दुखी चेहरे और सचिन तेंदुलकर के प्रेरित करने वाले शब्दों ने उन्हें भारत के लिए जीत हासिल करने की प्रेरणा दी।
रैना ने बताया, ''वीरेंद्र सहवाग मेरी दाईं और सचिन तेंदुलकर बाईं तरफ बैठे हुए थे। सचिन ने मेरी पीठ थपथपाई और कहा आज भारत के लिए तुम मैच जीत सकते हो। उन्होंने मुझे तीन बार छुआ और फिर पहने हुए साईं बाबा के ब्रेसलेट को छुआ। इसके बाद सचिन तेंदुलकर से मिले आशीर्वाद ने मुझे अहसास दिलाया कि आज मैं यह मैच भारत के लिए जीत सकता हूं।''
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उन्होंने आगे बताया, ''जब मैं बल्लेबाजी के लिए जा रहा था, तब धोनी आउट होकर पवेलियन को लौट रहे थे। मैंने उनका उदास चेहरा देखा और उसी पल मैंने फैसला कर लिया। मैं इस मौके को नहीं गंवाऊंगा और किसी भी कीमत पर इस मैच को जीतूंगा। ऑस्ट्रेलिया ने आक्रमण से ऑफ स्पिनरों को हटा दिया और वे हमारे लिए एकमात्र खतरा थे। जब मैंने ब्रेट ली की गेंद पर छक्का मारा, उसके बाद मुझे जीत का यकीन हो गया और यही बात हमारे फेवर में रही।''
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इस मैच में 14 गेंदें शेष रहते भारत ने 5 विकेट से जीत हासिल की थी। इस जीत के बाद भारत ने वर्ल्ड कप 2011 के सेमीफाइनल में पाकिस्तान को मात देकर भारत ने फाइनल में अपनी जगह बनाई। जिसमें श्रीलंका को हराकर भारत ने 28 साल बाद विश्वकप खिताब जीतकर सभी फैंस का दिल जीत लिया।