केपटाउन: दक्षिण अफ्रीकी तेज गेंदबाज डेल स्टेन ने चोट से उबरने के बाद उन्होंने वापसी की लेकिन उसी चोट ने दूसरे ही दिन उन्हें फिर बाहर का रास्ता दिखा दिया लेकिन फिर भी उन्होंने अपने देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा दिखाते हुए दर्द को नजरंदाज करके भारत के खिलाफ दूसरी पारी में बल्लेबाजी के लिये उतर गए तो विरोधी भी उनके जज्बे को सलाम किये बिना नहीं रह पाये होंगे।
स्टेन भारत के खिलाफ पहले टेस्ट के दूसरे ही दिन चोट के कारण सिरीज़ से बाहर हो गए थे। इसके बावजूद वह दूसरी पारी में बल्लेबाजी के लिये उतरे। उन्होंने कहा,‘‘मुझे लगा कि उस समय हमें सुरक्षित स्थिति में पहुंचने के लिये 20 रन और चाहिये थे। मुझे लगा कि अगर मैं बल्लेबाजी कर सका तो एक मोर्चे पर रह सकता हूं।’’
पांच मिनट तक क्रीज पर रहे स्टेन को हर बार गेंद रोकने पर तालियों के रूप में दाद मिली। दक्षिण अफ्रीकी पारी का अंत एबी डिविलियर्स के विकेट के साथ हुआ। दक्षिण अफ्रीका के तत्कालीन कप्तान ग्रीम स्मिथ 2009 में आस्ट्रेलिया के खिलाफ 11वें नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए टूटे हुए हाथ के साथ क्रीज पर उतरे थे। वह ऑस्ट्रेलिया को जीत से तो नहीं रोक सके लेकिन अपने जज्बे से उन्होंने भी सभी का दिल जीता था।
स्टेन ने कहा,‘‘मेरी हालत उतनी बुरी नहीं थी क्योंकि मुझे दौड़ना नहीं था । यह ग्रीम स्मिथ वाली स्थिति नहीं थी।’’
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