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पूर्व कप्तान से कोहली की तुलना पर वेंकटेश बोले- उन्होंने शायद ही कभी अपनी भावनाएं जाहिर की

वेंकटेश प्रसाद ने भारत के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली और विराट कोहली की कप्तानी शैली के बीच समानताओं को लेकर अपनी राय रखी है। प्रसाद का मानना है कि दोनों कप्तानों के बीच काफी समानताएं हैं, लेकिन उन्होंने अपने पूर्व कप्तान को कभी भी कोहली की तरह आक्रामक नहीं देखा।

<p>पूर्व कप्तान से...- India TV Hindi Image Source : GETTY IMAGES पूर्व कप्तान से कोहली की तुलना पर वेंकटेश बोले- उन्होंने शायद ही कभी अपनी भावनाएं जाहिर की

वेंकटेश प्रसाद ने भारत के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली और विराट कोहली की कप्तानी शैली के बीच समानताओं को लेकर अपनी राय रखी है। प्रसाद का मानना है कि दोनों कप्तानों के बीच काफी समानताएं हैं, लेकिन उन्होंने अपने पूर्व कप्तान को कभी भी कोहली की तरह आक्रामक नहीं देखा।

वेंकटेश प्रसाद ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, "मुझे लगता है कि सौरव और विराट के बीच बहुत ज्यादा समानताएं हैं, क्योंकि सौरव ने भी कप्तानी उस समय संभाली थी, जब टीम में बहुत सारी नकारात्मक चीजें चल रही थीं। सौरव ने वास्तव में टीम में काफी बदलाव किए। मुझे लगता है कि उस समय नेतृत्व कौशल की आवश्यकता थी और यही सौरव ने दिखाया। उनके पास एक अद्भुत नेतृत्व की क्षमता थी और उन्होंने कप्तान और खिलाड़ी दोनों ही रूप में मानक स्थापित किए।"

उन्होंने कहा, “फिर भी कुछ कमियाँ थीं। जब बात सौरव की फिटनेस की हो या शायद उनकी फील्डिंग की या जो भी हो, लेकिन ठीक था। किसमें कमियाँ नहीं होती हैं? लेकिन उस स्तर पर जो महत्वपूर्ण था कि वह एक अच्छे कप्तान थे और यही सौरव ने सबको दिखाया कि एक कप्तान क्या कर सकता है। उन्होंने टीम को बदल कर रख दियाा”

प्रसाद का मानना है कि कोहली का व्यवहार हद के अंदर है, हालांकि ऐसे लोग भी हैं जो महसूस करते हैं कि भारतीय कप्तान थोड़ा ज्यादा आक्रामक हो जाते हैं। हालांकि प्रसाद का मानना है कि उन्होंने गांगुली में कोहली के स्तर की आक्रामकता नहीं देखी।

उन्होंने कहा, 'आक्रामकता के मामलें में कोहली पूर्व कप्तान सौरव से काफी आगे हैं। सौरव ने कभी अपने इमोशन जाहिर नहीं किए। एक दो बार ही हमने सौरव को अपने इमोशन जाहिर करते हुए देखा। वही, विराट बहुत ही इमोशनल और जुनूनी है। हालांकि वह मैदान पर एक हद तक आक्रामक है।"

प्रसाद ने कहा, "इसका मतलब यह नहीं है कि वह आपे से बाहर हो जाता है। लोगों को यह महसूस हो सकता है कि वह आपे से बाहर चला गया है लेकिन ये उसकी आक्रामकता ही है जो उसे खेल में बनाए रखता है। यह आसानी से दिखाई दे जाती है, जबकि सौरव की आक्रामकता कुछ घटनाओं के अलावा दिखाई नहीं देती थी।”

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