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Hindi News खेल क्रिकेट एम एस धोनी और विराट कोहली से ज्यादा सौरव गांगुली ने मुझे सपोर्ट किया - युवराज सिंह

एम एस धोनी और विराट कोहली से ज्यादा सौरव गांगुली ने मुझे सपोर्ट किया - युवराज सिंह

युवराज सिंह ने 2000 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चैंपियन ट्रॉफी के दौरान भारत के लिए डेब्यू किया था। उस दौरान टीम इंडिया की कमान सौरव गांगुली के हाथों में थी। 

Sourav Ganguly supports me more than MS Dhoni and Virat Kohli - Yuvraj Singh - India TV Hindi Image Source : GETTY IMAGES Sourav Ganguly supports me more than MS Dhoni and Virat Kohli - Yuvraj Singh 

भारतीय टीम के पूर्व हरफनमौला खिलाड़ी युवराज सिंह को सिक्सर किंग, मैच विनर के रूप में जानते हैं। युवराज सिंह ने कभी भी टीम के अंदर की बातों को बाहर नहीं रखा, लेकिन अब जब उन्होंने रिटायरमेंट ले ली है तो उन्होंने बताया है कि उन्हें महेंद्र सिंह धोनी और विराट कोहली की कप्तानी में इतना सपोर्ट नहीं मिला जिताना उन्हें सौरव गांगुली की कप्तानी में मिला था।

युवराज सिंह ने 2000 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चैंपियन ट्रॉफी के दौरान भारत के लिए डेब्यू किया था। उस दौरान टीम इंडिया की कमान सौरव गांगुली के हाथों में थी। युवराज ने गांगुली, धोनी और कोहली के अलावा, राहुल द्रवीड़, वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर की कप्तानी में भी मैच खेलें हैं। लेकिन युवराज इन सभी में सौरव गांगुली को ही सबसे ऊपर रखते हैं।

युवराज ने स्टारस्पोर्ट्स से बातचीत के दौरान कहा "मैंने सौरव गांगुली की कप्तानी में खेला और वहां मुझे बहुत सपोर्ट मिला। इसके बाद धोनी आए। धोनी और गांगुली के बीच चुनना काफी मुश्किल है। लेकिन मेरी यादें गांगुली के साथ जुड़ी है क्योंकि उन्होंने मुझे हमेशा सपोर्ट किया। मुझे उस तरह का सपोर्ट धोनी और कोहली की कप्तानी में नहीं मिला।"

युवराज ने 304 एकदिवसीय मैचों में भारत का प्रतिनिधित्व किया। उनमें से 110 मैच उन्होंने गांगुली की कप्तानी में खेले जबकि 104 एकदिवसीय मैच उन्होंने धोनी के अंडर खेले।

दिलचस्प बात यह है कि युवराज के रिकॉर्ड धोनी की कप्तानी में ज्यादा बेहतर रहे हैं। धोनी की कप्तानी में खेले मैचों में उन्होंने लगभग 37 की औसत से 3077 रन बनाए वहीं गांगुली की कप्तानी में उन्होंने 2640 ही रन बनाए।

युवराज ने कहा "मैं जब खेलने आया तो आईपीएल नहीं हुआ करता था। मैं अपने हीरो को टीवी पर देखा करता था और अचानक उनके साथ बैठने लगा। मेरे अंदर उनके लिए बहुत आदर और सम्मान था और मैंने उनसे सीखा व्यव्हार कैसे करें, मीडिया से बात कैसे करें आदि। लेकिन आज मुश्किल ही कोई सीनियर खिलाड़ी अपने साथी खिलाड़ी को यह सिखाता होगा।"

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