भारतीय पत्रकारों को लगता है कोहली को रहाणे से ख़तरा है: द. अफ़्रीकी मीडिया
साउथ अफ़्रीका के खेल पत्रकार लॉयड बर्नार्ड के अनुसार कुछ भारतीय पत्रकारों का कहना है कि कोहली का अपना एजेंडा होता है.
जब से टीम इंडिया साउथ अफ़्रीका के दौरे पर पहुंची है, विराट कोहली बतौर कप्तान अपने फ़ैसलों, बल्लेबाज़ी और प्रेस कॉन्फ़्रेंस को लेकर सुर्ख़ियों में बने हुए हैं. इंडियन मीडिया में कोहली को लेकर तरह-तरह की बातें होती रही हैं. कुछ बारतीय पत्रकार जहां कोहली के कायल हैं वहीं कुछ ऐसे भी हैं जो कोहली की बेझिझक आलोचना करते हैं.
ये बात कही है साउथ अफ़्रीका के खेल पत्रकार लॉयड बर्नार्ड ने sport24.co.za में लिखे अपने लेख में. उन्होंने लिखा है कि इन भारतीय पत्रकारों का कहना है कि कोहली का अपना एजेंडा होता है. इसके समर्थन में वे दलील देते हैं कि टेस्ट सिरीज़ के पहले दो मैचों में कोहली ने अजंक्य रहाणे की अनदेखी करते हुए रोहित शर्मा को खिलाया. उनका कहना है कि अजंक्य रहाणे को कोहली ने इसलिए नहीं खिलाया क्योंकि उन्हें रहाणे से ख़तरा (कप्तानी छिनने का) है. लॉयड ने आगे लिखा कि हमारी (विदेशी पत्रकार) की अपेक्षा ज़ाहिर है भारतीय पत्रकार अपनी टीम को बेहतर जानते हैं लेकिन ये विश्वास करना बहुत मुश्किल है कि अद्भुत कौशल के धनी कोहली जैसे को किसी से डर लगेगा.
लॉयड के अनुसार हो सकता है कि इंडियन मीडिया बतौर कप्तान कोहली की क्षमता को लेकर अभी संशय में हो लेकिन साउथ अफ़्रीकी क्रिकेट प्रेमियों ने कोहली को लेकर एक समय एक राय बना ली थी. उन्होंने कोहली की ख़ूब आलोचना की है.
लॉयड ने कहा कि न्यूलैंड्स टेस्ट में फ़ाफ़ डू प्लेसिस के आउट पर अति उत्साह वाले जश्न से लेकर सेंचुरियन में मीडिया से झड़प तक कोहली विवादों में रहे. सेंचुरियन टेस्ट में हार के हाद के बाद प्रेस कॉन्फ़्रेंस में जब एक पत्रकार ने टीम सिलेक्शन पर सवाल उठाया तो कोहली भड़क गए थे. देखने वाली बात ये है कि ये सवाल पहले ही दो बार पूछा जा चुका था. इसीलिए कोहली ने पलटकर कहा-''मैं यहां आपसे लड़ने नहीं आया हूं.''
कोहली क्रिकेट से जुनून की हद तक प्यार करते हैं
साउथ अफ़्रीका के पत्रकार ने कहा कि “कोहली फ़ील्ड में हों या फिर मीडिया के सामने, एक बात तो साफ है कि कोहली क्रिकेट से जुनून की हद तक प्यार करते हैं और वह हर हाल में जीतना चाहते हैं.” जीत की ये वो चाह है जिसकी हर टीम अपने कप्तान से अपेक्षा होनी चाहिए.
कोहली की बहुत ज़्यादा अपील करने और अति-उत्साह के लिए भी आलोचना की गई है लेकिन इसमें अगर कुछ ग़लत है तो ये देखना अंपायर्स और ICC का काम है और अगर उन्हें इसमें कुछ ग़लत नहीं दिखता तो हमें क्यों ग़लत लगना चाहिए?
पहले दो टेस्ट मैचों में जब इंडिया की स्थिति ठीक नहीं थी, कोहली ही एकमात्र ऐसे खिलाड़ी थे जो अंत तक संघर्ष करने के लिए तैयार थे. सेंचुरियन टेस्ट में 153 रन की उनकी पारी इसका सबूत है.
इंडिया किसी भी पिच पर खेलने के लिए तैयार है
जिस दिन कोहली ने साउथ अफ़्रीका की ज़मीन पर पैर रखा, उसी दिन से उन्होंने स्पष्ट कर दिया था कि इंडिया किसी भी पिच पर खेलने के लिए तैयार है और ये कि उन्हें तेंज़ या बाउंसी विकेट से कोई शिकायत नहीं होगी.
वैंडरर्स में तीसरा टेस्ट ख़राब विकेट की वजह से खेल ख़त्म ही हो गया था लेकिन कोहली के नेतृत्व में इंडिया ने विकेट पर हायतौबा मचाने की बजाय खेल जारी रखा और शानदार जीत हासिल की. मज़े की बात ये है कि विकेट को लेकर डू प्लेसिस ने तो कुछ नहीं कहा लेकिन द. अफ़्रीकी खिलाड़ियों ने बहुत शोर मचाया. इस टेस्ट में कोहली ने 54 और 41 रन बनाए थे जो उस कठिन परिस्थितियों में बहुत बड़ी बात है. यहां तक कि जब ओपनर मुरली विजय अनियंत्रित उछाल से परेशान हो रहे थे, तब भी कोहली ने शिकायत नहीं की जबकि 2015 के भारत दौरे पर साउथ अफ़्रीकी टीम ने विकेट को लेकर ख़ूब रोना रोया था.
जैसे दौरा आगे बढ़ा, कोहली का क़द बढ़ता गया
एबी डिविलियर्स के साथ मुक़ाबले में उन्होंने बाज़ी मारी और वनडे सिरीज़ में 4-1 से अजेय बढ़त ले ली है. कोहली ने बैट से भी शानदार प्रदर्शन करते हुए पांच वनडे मैचों में 143 की औसत से 429 रन बनाए हैं. डिविलियर्स, डू प्लेसिस, हाशिम आमला और क्विंटन डी कॉक के सामने कोहली निश्चित रुप से बेजोड़ रहे हैं. कहा जा सकता है कि जैसे जैसे दौरा आगे बढ़ा, कोहली का क़द बढ़ता गया.
लॉयड लिखते हैं कि साउथ अफ़्रीका के पूर्व कप्तान ग्रीम स्मिथ पर भी "अहंकारी" होने का आरोप लगा था. शायद हम साउथ अफ़्रीकी ऐसे ही हैं...शायद हम दूसरों की कामयाबी को बर्दाश्त नहीं कर पाते.