शेन वॉर्न ने किया स्वीकार, 'बॉल ऑफ़ सेंचुरी' डालने के बाद बदल गया उनका जीवन
शेन वॉर्न ने 90 के दशक में साल 1993 में एक गेंद ऐसी डाली थी जिसे ‘बॉल ऑफ सेंचुरी’ बोला गया।
ऑस्ट्रेलिया के दिग्गज लेग स्पिन गेंदबाज शेन वॉर्न ने 90 के दशक में साल 1993 में एक गेंद ऐसी डाली थी जिसे ‘बॉल ऑफ सेंचुरी’ बोला गया। इस तरह वॉर्न ने अपने जीवन को दो हिस्सों में बाँट दिया। एक बॉल ऑफ सेंचुरी से पहले का जीवन और एक बॉल ऑफ़ सेंचुरी फेंकने के बाद का जीवन। इस तरह क्रिकेट के मैदान में वॉर्न ने अपनी घुमती गेंदों से काफी तहलका मचाया मगर उन्हें क्रिकेट के दिग्गज बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर और ब्रायन लारा ने करारा जवाब दिया। जिस पर वो भी मानते हैं कि उनकी गेंदों को मारने में ये दो बल्लेबाज माहिर थे।
हलांकि वॉर्न पर 2003 में डोपिंग के कारण 12 महीने का प्रतिबंध लगा और वह विश्व कप नहीं खेल सके थे। उन्होंने कहा कि 1993 में बॉल ऑफ़ सेंचुरी डालने के बाद मिली सफलता ने उनके जीवन पर काफी असर डाला। उस गेंद पर उन्होंने माइक गेटिंग को बोल्ड किया था।
उन्होंने कहा ,‘‘ मैं उस समय सिर्फ 23 साल का था। मुझे याद है कि लंदन में विंडमिल पब में जाता था। मैं मर्व ह्यूज के साथ जाता था और बाहर आने के बाद 25-30 फोटोग्राफर तस्वीरें लेने के लिये खड़े रहते थे। मेरे बारे में हर बात छप जाती थी।’’
उन्होंने फॉक्स क्रिकेट पर एक कार्यक्रम में कहा कि वह विचलित हो जाते थे जब मीडिया उनके बारे में अक्सर झूठी खबरें छापता था। उन्होंने कहा ,‘‘ मैं हमेशा डरा रहता था। मैं वर्तमान में जीने में भरोसा करता था और परिणामों की परवाह नहीं करता था। इससे कई बार मैं मुसीबत में भी पड़ा। मैने वही किया जो मैं चाहता था और मुसीबतें मोल ली।’’
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वॉर्न ने कहा ,‘‘ मैं अपने सारे फैसले पर फख्र नहीं करता। मैने कई गलत फैसले लिये लेकिन खुद के प्रति ईमानदार रहा। मैने अपने परिवार और बच्चों को शर्मिंदा किया लेकिन मैं खुद को बदल नहीं सकता। मैने गलतियां की लेकिन कई अच्छी बातें भी की। कई बार लोग सिर्फ गलतियां देखते हैं क्योंकि उससे सुर्खियां बनती हैं।’’
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