रणजी में तिहरा शतक जड़ने के बाद सरफराज खान ने अपने 'संघर्ष' के दिनों को किया याद
सरफराज ने 391 गेंदों में 30 चौके और आठ छक्के की मदद से नाबाद 301 रन की पारी खेली। इस पारी के साथ ही सरफराज मुंबई के लिए तिहरा शतक लगाने वाले 7वें खिलाड़ी बन गए।
युवा बल्लेबाज सरफराज खान के तिहरे शतक के दम पर मुंबई ने रणजी ट्राफी एलीट ग्रुप बी मुकाबले में उत्तर प्रदेश के खिलाफ पहली पारी में बढ़त के आधार पर 3 अंक अपने नाम किए। उत्तर प्रदेश के पहली पारी के 625/8 के स्कोर के जवाब में मुंबई ने बुधवार को मैच के चौथे दिन 7 विकेट पर 688 रन बनाकर अपनी पारी घोषित की।
सरफराज ने 391 गेंदों में 30 चौके और आठ छक्के की मदद से नाबाद 301 रन की पारी खेली। इस पारी के साथ ही सरफराज मुंबई के लिए तिहरा शतक लगाने वाले 7वें खिलाड़ी बन गए। इससे पहले ये कारनामा सुनील गावस्कर, विजय मर्चेंट, अजीत वाडेकर, संजय मांजरेकर, वसीम जाफर और रोहित शर्मा ने किया था। दिलचस्प बात ये है कि सरफराज ने अपना तिहरा शतक लगाकर छक्का लगाकर पूरा किया।
सरफराज की इस शानदार पारी के पीछे उनका कड़ा संघर्ष साफ देखा जा सकता है। दो दिन पहले बुखार से पीड़ित होने के बावजूद सरफराज ने नाबाद 301 रन की पारी खेली।
मैच के बाद सरफराज ने कहा,‘‘मुझे बल्लेबाजी के लिए नहीं आना था। पिछले दो-तीन दिन से मेरी तबीयत ठीक नहीं थी। लेकिन मेरा मानना है कि में ऐसा खिलाड़ी हूं तो अगर विकेट पर टिके रहता है तो मैच का रुख बदल सकता है। इसलिए मैं मैदान पर उतरा और टीम के लिए खेला।’’ सरफराज ने कहा, ‘‘मैंने नहीं सोचा था कि मैं इतनी लंबी पारी खेल पाऊंगा। जब मैं 250 रन बनाकर खेल रहा था तो मैं सोचा कि मुझे रिटायर हो जाना चाहिए लेकिन टीम ने मेरा काफी समर्थन किया।’’
इस मैच के बाद सरफराज ने अपनी इस शानदार पारी और अपनी संघर्षपूर्ण क्रिकेट यात्रा के बारें में खुलकर बात की जिसका वीडियो BCCI ने अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर किया। सरफराज ने बताया, "मुझे भूख सिर्फ 200 और 300 रनों की थी। जब मैं 200 पर था तो मुझे लगा नहीं था कि 250 या 300 बना पाउंगा।"
सरफराज आगे बताते हैं, "आप यकीन नहीं करोगे कि मैंने न ब्रैकफास्ट किया और न लंच किया। मुझे भूख अभी भी नहीं लगी है। मुझे सिर्फ रनों की भूख थी और मुंबई को जिताने की भूख थी। मुझे ऐसा लगता है कि मैं अपनी लाइफ में बहुत स्ट्रगल करते हुए आ रहा हूं और आगे भी बहुत स्ट्रगल रहेगा। पीछे जब देखता हूं तो बहुत सारी चीजें याद आती हैं। मगर मैं पीछे देखना नहीं चाहता।"
उन्होंने आगे कहा, "कुछ कदम दूर ही आजाद मैदान है, जहाँ मैंने अपना सारा जीवन बिताया है। मैं अपने घर से ज्यादा वहाँ बिताय है और यहाँ तक कि कुछ रातें सोया भी हूँ। इसलिए, मुझे अच्छा लग रहा है। मैं वानखेड़े की रोशनी देखता था और सोचता था कि पब्लिक मेरा नाम कब चिल्लाएगी और कब दोहरा शतक या तिहरा शतक लगाऊंगा।"
प्रथम श्रेणी क्रिकेट में छठे नंबर पर खेलते हुए तिहरा शतक जड़ने वाले सरफराज तीसरे बल्लेबाज हैं। रणजी ट्राफी के इतिहास में वह करूण नायर के बाद छठे नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए तिहरा शतक जड़ने वाले सिर्फ दूसरे बल्लेबाज हैं।