एमएस धोनी है विश्व क्रिकेट के सबसे चतुर दिमागों में से एक - संजू सैमसन
सैमसन ने कहा "मैंने माही भाई से बहुत कुछ सीखा है। यहां तक कि अगर आप टीवी पर उन्हें दो मैच खेलते हुए देखते हैं तो आप उनसे बहुत कुछ सीख सकते हैं।"
भारतीय विकेट कीपर महेंद्र सिंह धोनी ने 2004 में डेब्यू करने के बाद टीम में ऐसी जगह बनाई कि कोई उन्हें बाहर नहीं कर पाया। धोनी ने कई मौकों पर अपनी चतुराई भरी विकेटकीपिंग दिखाकर दुनिया को अपना फैन बनाया है। इस वजह से उनकी गिनती भारत के ही नहीं बल्कि दुनिया के सर्वश्रेष्ठ विकेट कीपरों में की जाती है। हाल ही में भारतीय टीम के विकेट कीपर बल्लेबाज संजू सैमसन ने धोनी को विश्व क्रिकेट के सबसे चतुर दिमागों में से एक बताया है।
टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए एक खास इंटरव्यू में धोनी के बारे में बात करते हुए सैमसन ने कहा "मैंने माही भाई से बहुत कुछ सीखा है। यहां तक कि अगर आप टीवी पर उन्हें दो मैच खेलते हुए देखते हैं तो आप उनसे बहुत कुछ सीख सकते हैं। वह विश्व क्रिकेट के सबसे चतुर दिमागों में से एक हैं।"
सैमसन ने आगे कहा "यदि आप देखें कि वह अपनी पारी को किस तरह भुनाते हैं, उनका स्वभाव कैसा है, कैसे वह स्थिती और फॉर्मेट के हिसाब से अपने बल्लेबाजी का अंदाज और बहुत कुछ बदलते हैं, यह अविश्वसनीय है। मैंने माही भाई से सीखा कि स्मार्ट क्रिकेट कैसे बना जाता है। वह स्मार्ट होने के साथ-साथ कठिन परिस्थितियों में भी शांत रहते हैं। तो ये सब मैंने उनसे सीखा।"
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सैमसन ने 21 साल की उम्र में जिम्बाब्वे के खिलाफ 2015 में भारतीय टी20 टीम के लिए डेब्यू किया था। उस मैच में सैमसन ने 24 गेंदों पर 19 रन बनाए थे। इसके बाद सैमसन को भारतीय टीम की जर्सी पहनकर मैदान पर उतरने का मौका 5 साल लंबे इंतजार के बाद मिला। इस गैप में सैमसन ने अपने खेल में बहुत सुधार किया था।
सैमसन ने बताया "मैंने अपना डेब्यू 2015 में जिम्बाब्वे के खिलाफ किया था। इसके बाद मुझे काफी स्पेस मिला जिसमें मैंने चार-पांच आईपीएल सीजन और घरेलू क्रिकेट खेला। मुझे लगता है कि वह समय मेरे करियर और जिंदगी के लिए बहुत महत्वपूर्ण थे।"
सैमसन ने कहा "वे पांच साल मेरे लिए वास्तव में महत्वपूर्ण रहे हैं। मैंने अपने खेल को उसके अनुसार बदल दिया और फिर मैंने उसमें श्रेष्ठ होने की कोशिश की। इन पांच वर्षों में मेरा अच्छा आधार बना है। मुझे लगता है कि मानसिक रूप से मैं बहुत मजबूत रहा हूं और मुझे एहसास हुआ है कि मैं किस प्रकार का व्यक्ति और क्रिकेट हूं। मैंने इन पांच वर्षों में मैंने अपनी ताकत और कमजोरियों को समझा है। मैंने खुद को अंतरराष्ट्रीय स्तर के लिए तैयार किया है जहां मैं अच्छा प्रदर्शन कर भारतीय टीम को मैच जिता सकूं।"