श्रीलंका के पूर्व कप्तान कुमार संगाकारा ने गुरुवार को नस्लभेद के खिलाफ एक शक्तिशाली संदेश दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि बिना मूल्यों की शिक्षा देने से भेदभाव नहीं रुकेगा। संगकारा ने साथ ही कहा कि वास्तविक इतिहास पढ़ाने से ही बदलाव लाया जा सकता है, न कि सैनिटाइज वर्जन से।
संगाकारा ने क्रिकबज से कहा, "अगर अप ब्लैक लाइव्स मैटर की बात करते हैं, अगर आप दुनिया में नस्लवाद और भेदभाव की बात करते हैं, तो मुझे लगता है कि सबसे महत्वपूर्ण चीजों में से एक है कि हमें अपने बच्चों को इतिहास पढ़ाना है। यह होना चाहिए, न कि इसका सैनिटाइज वर्जन। एक बार जब हम यह समझ लेंगे कि वास्तविक इतिहास क्या है, तो हम अपनी सोच में बदलाव ला पाएंगे।"
उन्होंने कहा, "हम सभी को अपने देश से प्यार करना सिखाया जाता है, लेकिन कभी-कभी हम आंख बंद करके उसका पालन करते हैं और अन्य संस्कृतियों की सराहना करने से रुक जाते हैं।" संगाकारा ने कहा, " बदलाव रातों-रात नहीं होगा यह उस महीने की तरह नहीं है, जहां आप इसका विरोध करते हैं और इसे भूल जाते हैं। यह दुनिया में सभी को शामिल करने वाली एक धीमी और थकाऊ प्रक्रिया है।"
गौरतलब है कि मौजूदा समय में नस्लभेद को लेकर पूरी दुनिया में 'ब्लैक लाइव्स मैटर' आंदोलन चल रहा है जिसमें कई क्रिकेटरों ने भी अपनी आवाज बुलंद की है। यही नहीं, कोरोना के चलते इंटरनेशनल क्रिकेट के लंबे समय तक ठप्प रहने के बाद जब इंग्लैंड और वेस्टइंडीज सीरीज के जरिए 8 जुलाई से क्रिकेट फिर से बहाल हुआ तब दोनों टीमों के खिलाड़ियों ने एक घुटने पर झुककर 'ब्लैक लाइव्स मैटर' आंदोलन को अपना समर्थन दिया था। इस दौरान खिलाड़ियों की शर्ट के कॉलर पर भी 'ब्लैक लाइव्स मैटर' का लोगो छपा हुआ था।
(With IANS inputs)
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