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Hindi News खेल क्रिकेट सचिन तेंदुलकर ने बांधे चेतेश्वर पुजारा की तारीफों के पुल, बोले- किया बेजोड़ प्रदर्शन

सचिन तेंदुलकर ने बांधे चेतेश्वर पुजारा की तारीफों के पुल, बोले- किया बेजोड़ प्रदर्शन

चेतेश्वर पुजारा ने टेस्ट सीरीज में 521 रन बनाए थे। जिसमें चार शतक और एक अर्धशतक शामिल थे। 

Sachin Tendulkar- India TV Hindi Image Source : GETTY IMAGES Sachin Tendulkar

दिग्गज क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने बुधवार को ‘रन मशीन’ चेतेश्वर पुजारा की ऑस्ट्रेलिया में शानदार प्रदर्शन करने और भारत की जीत में अहम भूमिका निभाने के लिए जमकर तारीफ की। तेंदुलकर भारतीय टीम की खेल की शैली से भी प्रभावित दिखे और कहा कि विराट कोहली की अगुआई वाली टीम ने चार टेस्ट मैचों की सीरीज में जिस तरह का खेल दिखाया वो लाजवाब था। भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 2-1 से हराकर पहली बार ऑस्ट्रेलियाई धरती पर टेस्ट सीरीज जीती थी।

तेंदुलकर ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा, ‘‘शानदार। टीम ने वास्तव में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया। भारत ने ऑस्ट्रेलिया में जिस तरह का प्रदर्शन किया वो लाजवाब था।’’ पुजारा ने सीरीज में 521 रन बनाए जिसमें चार शतक और एक अर्धशतक शामिल हैं। सिडनी में उन्होंने 193 रन की पारी खेली। तेंदुलकर ने कहा कि पुजारा का सीरीज में प्रदर्शन बेजोड़ था।

उन्होंने कहा, ‘‘मेरे लिए किसी एक पल को महत्वपूर्ण बताना मुश्किल है लेकिन मेरा मानना है कि पुजारा ने वास्तव में बेजोड़ प्रदर्शन किया। पुजारा को लेकर कई तरह की बयानबाजी की गई थी जो कि उनके पक्ष में नहीं थी। उनमें उनके योगदान को कम करके आंका गया था। पुजारा के अलावा हम गेंदबाजों के योगदान को नजरअंदाज नहीं कर सकते। गेंदबाजों ने भी शानदार प्रदर्शन किया।’’

तेंदुलकर ने कहा, ‘‘लेकिन कहीं न कहीं वो पुजारा थे जिन्होंने जीत के लिए ठोस नींव रखी जिसका अन्य बल्लेबाजों ने भी फायदा उठाया और रन बनाए। विराट ने दूसरे टेस्ट में रन बनाए। अंजिक्य रहाणे ने कुछ महत्वपूर्ण साझेदारियां कीं। इसके अलावा ऋषभ पंत, रविंद्र जडेजा इन सभी खिलाड़ियों ने अच्छा खेल दिखाया। मयंक अग्रवाल ने करियर की शानदार शुरुआत की।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इसके बावजूद अगर मुझे किसी एक के योगदान पर उंगली रखनी है तो वो पुजारा और उनके साथ तेज गेंदबाजों का योगदान है।’’ तेंदुलकर ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया में 71 साल में पहली टेस्ट सीरीज में जीत से युवा पीढ़ी प्रेरित होगी। उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह के परिणाम वास्तव में महत्वपूर्ण होते हैं। मुझे अब भी याद है कि जब मैं दस साल का था और क्रिकेट के बारे में ज्यादा नहीं जानता था लेकिन मुझे पता था कि भारत ने विश्व कप (1983) जीता है और वहां से मेरी क्रिकेट यात्रा शुरू हुई थी।’’ 

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