साल 2005 में जब भारतीय क्रिकेट टीम ने जिम्बाब्वे का दौरा किया था तब युवा गेंदबाज इरफान पठान ने सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरी थी। इरफान पठान ने मेजबान जिम्बाब्वे के खिलाफ दूसरे टेस्ट मैच में 12 विकेट लेकर सनसनी मचा दी थी।
इस मैच में भारत ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी का फैसला किया। इसके बाद इरफान पठान ने अपनी धारदार गेंदबाजी से कप्तान सौरव गांगुली के फैसले को सही साबित किया। पठान ने पहली पारी में 59 रन देकर 7 विकेट अपने नाम किए और मेजबान को 161 रनों के भीतर ढेर कर दिया।
इसके बाद भारत ने बल्लेबाजी में कमाल का खेल दिखाया और गौतम गंभीर और राहुल द्रविड़ के 98 रनों की बदौलत 366 रन स्कोर बोर्ड पर लगा दिए। इसके बाद इरफान ने दूसरी पारी में भी जिम्बाब्वे को संभलने का मौका नहीं दिया और 67 रन देकर 5 विकेट अपनी झोली में डाल लिए। इस तरह भारत ने जिम्बाब्वे को 223 रन के स्कोर पर ऑलआउट करने के बाद 10 विकेट से मैच अपने नाम कर लिया।
इरफान पठान ने 126 रन देकर 12 विकेट अपने नाम किए और मैन ऑफ द मैच का अवॉर्ड जीता। पठान के टेस्ट करियर का ये बेस्ट प्रदर्शन था। इस सीरीज में वह 21 विकेट लेने में कामयाब रहे। पठान की शानदार गेंदबाजी के आगे पस्त होने वाली जिम्बाब्वे से दूसरे टेस्ट के बाद टेस्ट क्रिकेट खेलने का दर्जा छीन लिया गया और अगला टेस्ट खेलने के लिए करीब 6 साल का इंतजार करना पड़ा। इस सीरीज के साथ ही जिम्बाब्वे के दिग्गज गेंदबाज हीथ स्ट्रीक के करियर पर भी विराम लग गया।
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