उम्र का हवाला देकर टीम में न लेने से होता है दुख: आशीष नेहरा
नई दिल्ली: घरेलू क्रिकेट में अच्छे प्रदर्शन के बावजूद टीम से बाहर रहने का तेज़ गेंदबाज़ आशीष नेहरा को बहुत मलाल है और उनका कहना है कि अगर आपने वर्ल्ड कप में अच्छा किया है
धोनी आपको अब भी काबिल मानते हैं ये कितनी बड़ी बात है
कप्तान आपको काबिल मानते हैं इसलिए आपको मुश्किल हालात में गेंदबाजी देते हैं, और ये मेरा कॉन्फिडेंस बढ़ाता है, देखिए बल्लेबाज और गेंदबाज में ये फर्क होता है कि अगर आप एक बार मैदान में पहुंच गए तो बाहर से आपको बाकी के नौ खिलाड़ी बस देख सकते हैं कि बैटिंग आपने करनी है, गेंदबाज के लिए ये जरूरी है कि आपके कप्तान क्या सोचते हैं, फील्डर आपको कितना सपोर्ट कर रहे हैं ये सब आपके लिए बेहद जरूरी है, चैंपियंस लीग में भी सुनील नारायण के बाद मैंने सबसे ज्यादा विकेट लिए थे। सीएसके अच्छी टीम है मैंने अच्छा प्रदर्शन किया है इससे मेरा कॉन्फिडेंस बढ़ा है, और साथ ही क्रिकेटिंग करियर भी ।
मान सकते हैं कि धोनी का कप्तान होना नेहरा के लिए फायदेमंद रहा है
धोनी की ये महारथ है कि प्लेयर से कैसे बेस्ट प्रदर्शन कराया जाए, उसका कैसे इस्तेमाल किया जाए, मैं उनके साथ कई साल खेला हूं, उन्हे पता है कि मैं अपने आपको बैक करता हूं हमेशा, मुझे आप कोई भी ओवर कराएं मैं करने के लिए तैयार रहा हूं ये चीज मुझे हमेशा बूस्ट करती है
2003 में आप इंजर्ड होने के बाद भी खेले, और आपने इंग्लैंड के खिलाफ 6 विकेट लिए
उस वक्त 22 -23 साल का था उस वक्त आदमी दिमाग से कम दिल से ज्यादा सोचता है, मैं बड़ा जोश में था, मुझे काफी चोट लगी थी, लेकिन मैं अच्छी गेंदबाजी कर रहा था, कहते हैं कि अगर आप अच्छा सोचें तो वो जरूर होता है, मैंने दिमाग से चोट की बात निकाल दी, मैंने अपना सौ फीसदी दिया जिसका नतीजा भी मुझे मिला ।
हमेशा कहा गया आशीष नेहरा हमेशा इंजर्ड रहता है,लेकिन 15-16 साल बाद ये देखा जा रहा है कि नेहरा जैसा गेंदबाज तो कोई रहा ही नहीं
मैं काफी इंजर्ड हुआ हूं लेकिन आप एक भी फास्ट गेंदबाज बता दो जो इंजर्ड नहीं हुआ। आजकल इतना क्रिकेट जो हो रहा है। , हां 2006 7 8 के दौरान मैं बहुत इंजर्ड हुआ,मेरे दो तीन साल खराब हुए, शमी, इशांत जहीर सभी को इंजुरी हुई हैं। आप एक गेंदबाज का नाम बताएं, भुवनेश्वर पूरा ऑस्ट्रेलिया टूर और वर्ल्ड कप के दौरान चार महीने तक इंजर्ड रहे मेरे साथ भी हुआ। जो लोग मेरे साथ खेले होंगे उन्होंने ये नहीं सोचा होगा कि नेहरा 36- 37 साल की उम्र में भी क्रिकेट खेलेगा।मैं आज भी 138-142 की स्पीड से गेंद फेंक रहा हूं। पिछले चार पांच साल में काफी मेहनत की है लेकिन दिक्कत ये है कि अगर आप इंडियन टीम में हो तभी लोग आपको नोटिस करते हैं लेकिन डोमेस्टिक खेल रहे हैं और क्या कर रहे हैं तो कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन आईपीएल में अच्छे करने से लोग नोटिस करते हैं ।