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क्रिकेट रिफॉर्म पर अगली सुनवाई जनवरी में, पद पर बने रहेंगे सौरव गांगुली और जय शाह

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को क्रिकेट रिफॉर्म से संबंधित सभी मामले को लेकर राज्य क्रिकेट संघों द्वारा दायर इंटरकोल्यूटरी याचिकाओं की 'पर्याप्त संख्या' का निपटारा किया।

Next hearing on cricket reform in January, Sourav Ganguly and Jai Shah to continue in office- India TV Hindi Image Source : IPLT20.COM Next hearing on cricket reform in January, Sourav Ganguly and Jai Shah to continue in office

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को क्रिकेट रिफॉर्म से संबंधित सभी मामले को लेकर राज्य क्रिकेट संघों द्वारा दायर इंटरकोल्यूटरी याचिकाओं की 'पर्याप्त संख्या' का निपटारा किया। लेकिन बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली, सचिव जय शाह और सह सचिव जयेश जॉर्ज के पद पर बने रहने से संबंधित याचिका पर सुनवाई अगले साल जनवरी तक के लिए टाल दिया गया। इनका कार्यकाल कुछ महीनों पहले खत्म हो चुका है।

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन दायर किया है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुमोदित संविधान में महत्वपूर्ण संशोधन की मांग की गई है, जिसे सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त लोढ़ा समिति द्वारा बनाया गया है। कोर्ट ने अब इस मामले पर सुनवाई की तारीख जनवरी में तीसरा सप्ताह तय किया है।

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न्यायमित्र (एमिकस क्यूरी) पी.एस. नरसिम्हा ने सुनवाई के बाद आईएएनएस से कहा, "अदालत द्वारा पर्याप्त संख्या में आवेदनों का निपटारा किया गया। बड़ी संख्या में मामले जो धन से संबंधित थे, वे विनाशकारी हो गए हैं, जबकि अदालत ने कहा कि राज्य क्रिकेट संघों में जहां एमिकस क्यूरी (नरसिम्हा) ने सफलतापूर्वक मध्यस्थता की थी और कर्नाटक के चुनावों में उनकी मदद की थी, उनका भी निपटारा कर दिया गया।"

उन्होंने कहा, "केवल कुछ मामले बचे हैं और अदालत ने इन्हें जनवरी के तीसरे सप्ताह में सूचीबद्ध करने के लिए कहा है। बीसीसीआई ने अपने संविधान में संशोधन की मांग की, जिस पर आज सुनवाई नहीं की गई।"

इसका यह भी मतलब है कि सौरव गांगुली, जय शाह और जयेश जॉर्ज अपने पदों पर 2021 तक बने रहेंगे वो भी तब जब उनका कार्यकाल कुछ महीनों पहले खत्म हो चुका है। बीसीसीआई अब 24 दिसंबर को अपनी वार्षिक आम बैठक (एजीएम) आयोजित करेगी और गांगुली इस बैठक की अध्यक्षता करेंगे।

बीसीसीआई के नए संविधान के मुताबिक, उसके अधिकारियों को बीसीसीआई में या किसी राज्य संघ में, दोनों को मिलाकर, लगातार छह साल बिताने के बाद कूलिंग ऑफ पीरियड में जाना होता है।

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कूलिंग ऑफ पीरियड बिताने के बाद वह शख्स दोबारा तीन साल के लिए लौट सकता है। यह उन सात नियमों में से है जिन पर बदलाव की मांग की गई है।

गांगुली पिछले साल 23 अक्टूबर को बीसीसीआई अध्यक्ष चुने गए थे। उनके पास 278 दिन बचे थे, क्योंकि वह बंगाल क्रिकेट संघ (सीएबी) में भी रह चुके थे। वह सीएबी में जुलाई, 2014 से थे। इसलिए बीसीसीआई में उनका कार्यकाल 26 जुलाई, 2020 को खत्म हो गया है।

मेनलाइन अखबार की 2013 की रिपोर्ट के मुताबिक, बीसीसीआई के मौजूदा सचिव जय शाह आठ सितंबर 2013 को गुजरात क्रिकेट संघ (जीसीए) के संयुक्त सचिव चुने गए थे। इससे पहले भी वह जीसीए के कार्यकारी थे। इसलिए उनका कार्यकाल भी खत्म हो चुका है।

बीसीसीआई के मौजूदा संयुक्त सचिव जॉर्ज पांच साल तक केरल क्रिकेट संघ (केसीए) के सचिव, संयुक्त सचिव, कोषाध्यक्ष रह चुके हैं और वह बीसीसीआई में बतौर संयुक्त सचिव एक साल पूरा कर चुके हैं।

पिछले साल सितंबर में उन्होंने केसीए के चुनाव के समय एक अखबार से कहा था, "मैं 21 जून, 2013 से सात जुलाई 2018 तक केसीए में रहा हूं। मेरे पास छह साल का समय पूरा करने के लिए अभी 11 महीने बाकी है।"

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केसीए के कार्यकाल के दौरान उन्होंने ब्रेक भी लिया था। उन्होंने सात जुलाई 2018 से 14 सितंबर 2019 के बीच ब्रेक लिया था और फिर 23 अक्टूबर 2019 को केसीए अध्यक्ष के तौर पर लौटे थे। इसका मतलब है कि वह अपने छह साल पूरे कर चुके हैं, ब्रेक को हटाकर। इसलिए 14 सितंबर से वह भी कूलिंग ऑप पीरियड में चले जाने चाहिए थे।

तीनों अधिकारी हालांकि अभी बोर्ड में हैं, क्योंकि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे हैं। इन सभी ने सुप्रीम कोर्ट में बीसीसीआई संविधान में सात बदलाव करने की अपील की है।

यह सभी खास तौर पर नियम 45 से छुटकारा चाहते हैं, जिसके तहते बीसीसीआई के लिए अनिवार्य है कि वह किसी भी तरह का सुधार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से मंजूरी ले।

अगर यह नियम बदल दिया था जाता है तो जो रिफॉर्म लागू किए गए थे, उनका कोई औचित्य नहीं रह जाएगा। और बीसीसीआई के करोड़ो रुपये, सुप्रीम कोर्ट का समय सब बर्बाद चला जाएगा।

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