जब डिप्रेशन में तीन बार सुसाइड करना चाहते थे मोहम्म शमी, अब बताया कैसे बची जान
शमी ने कहा "डिप्रेशन एक समस्या है जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। सुशांत सिंह राजपूत जैसे शानदार अभिनेता को अपनी जान गंवाते हुए देखना दुर्भाग्यपूर्ण था।"
भारतीय क्रिकेट टीम के तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी ने हाल ही में रोहित शर्मा के साथ इंस्टाग्राम चैट पर बताया था कि उनकी जिंदगी में समय ऐसा आया था जब उन्होंने एक बार नहीं तीन बार सुसाइड करने के बारे में सोचा था। अब उन्होंने बताया है कि वो किस तरह परिवार की मदद से इस बुरे वक्त से बाहर आए और उन्होंने कैसे डिप्रेशन से जंग जीती।
हिंदुस्तान टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में शमी ने कहा "डिप्रेशन एक समस्या है जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। सुशांत सिंह राजपूत जैसे शानदार अभिनेता को अपनी जान गंवाते हुए देखना दुर्भाग्यपूर्ण था। वह एक दोस्त था और अगर मुझे उसकी मानसिक स्थिति पता होती तो मैं उससे जरूर बात करता। मेरे मामले में, मेरे परिवार ने मुझे उस स्थिति से बाहर निकाला।"
शमी ने आगे कहा "उन्होंने मेरा ध्यान रखा और मुझे एहसास दिलाया कि मुझे वापस लड़ने की जरूरत है। कई बार मुझे आत्महत्या का अहसास हुआ, लेकिन मेरे परिवार ने सुनिश्चित किया कि मैं कभी अकेला न रहूँ। कोई न कोई तो हमेशा मेरे आसपास ही रहेगा। अध्यात्म भी आपको जवाब पाने में मदद करता है। इस चीज से बाहर निकलने के लिए अपने करीबी लोगों से बात करना या काउंसलिंग करना सबसे अच्छा है।"
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जब शमी से पूछा गया कि टॉप लेवल क्रिकेट खेलने के दौरान वह अपने मेंटल प्रेशर को किस तरह संभालते हैं और टीम ऐसे समय में कैसे साथ देती है? इस पर शमी ने कहा "मानसिक दबाव निश्चित रूप से आपकी शारीरिक भलाई में हस्तक्षेप करता है। उसी समय यदि आप दूसरों की मदद लेते हैं और इसके बारे में बात करते हैं, तो आप ऐसे मुद्दों से छुटकारा पा सकते हैं। मैं भाग्यशाली था कि मुझे विराट कोहली और अन्य खिलाड़ियों के साथ टीम के सहयोगी स्टाफ की मदद मिली। हम एक परिवार की तरह हैं। मेरी टीम के साथी हमेशा जोर देकर कहते हैं कि मैंने अपना गुस्सा और हताशा मैदान पर उतार दी। मैं खुश हूं कि मेरा यह चरण समाप्त हो गया है।"
उल्लेखनीय है, शमी ने रोहित शर्मा के साथ चैट में कहा था “निजी और पेशेवर जीवन में दबाव से निपटना उनके लिए आसान नहीं था। उन्होंने एक बार नहीं बल्कि तीन बार आत्महत्या करने के बारे में सोचा था। मीडिया मेरे निजी मुद्दों को बड़े स्तर पर कवर कर रही थी। अगर मेरा परिवार साथ नहीं देता तो मैं आत्महत्या कर लेता। हमारा घर 24वें फ्लोर पर था जिसके चलते कोई न कोई मेरे साथ हमेशा रूम में रहता था कि कही मैं कूद ना जाऊ। परिवार के लोगों ने क्रिकेट पर ध्यान देने के बारे में कहा। मेरे भाई और दोस्तों ने बहुत मदद की।’’