ये सवाल आज पूरा हिंदुस्तान इसलिए पूछ रहा है क्योंकि सेंचुरियन में जिस बल्लेबाज़ ने अफ्रीकी गेंदबाज़ों पर बेरहम हमला किया। वो बीमार था उसको डॉक्टर के पास जाकर बाकयादा इलाज करवाना पड़ा। मनीष पांडे को खांसी...जुकाम...फीवर नहीं हुआ बल्कि बेंच पर बैठे बैठे वो डिप्रेशन में चल गए थे। वो खुद से हार गए थे। सुनिए भारतीय क्रिकेट के इतिहास में सबसे बड़ा बयान।
मनीष ने कहा 'मैं वनडे सीरीज के दौरान भी यहां खेलना चाहता। मैं अपनी टीम में चुने जाने का इंतजार कर रहा था लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। सेंचुरियन का यह ग्राउंड मेरे लिए हमेशा अच्छा साबित हुआ है। इस मैदान पर लगाया गया मुझे अपना पहला आईपीएल शतक आज भी याद है।'
सेंचुरियन टी-20 में मनीष ने 48 गेंदों पर नाबाद तूफानी 79 रन बनाए। देखने में तो ऐसा लग रहा है...कि मनीष अफ्रीकी टीम पर गुस्सा उतार रहे हैं लेकिन दरअसल वो विराट को अपनी काबिलियत दिखा रहे थे बता रहे थे कि मुझ पर विश्वास करो... मुझको मौका दो।
विराट की कप्तानी में प्लेइंग इलेवन में जगह बरकरार रखने का दबाव लगातार बढ़ रहा है। बड़े से बड़ा खिलाड़ी हो या फिर युवा चेहरा। एक गलती उनको टीम से बाहर कर सकती है। विराट ने हर टेस्ट में टीम बदली है। अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज में अजिंक्य रहाणे को पहले 2 टेस्ट में बाहर रखा।
मौजूदा दौरे में उन्होंने वनडे में मनीष पांडे, अक्षर पटेल, दिनेश कार्तिक, शमी को मौका नहीं दिया। टी-20 में 2 मैचों में लोकेश राहुल..अक्षर पटेल बाहर ही बैठे हैं। ऐसे में मनीष पांडे का ये बयान बताता है कि टीम में खिलाड़ी किस तरह से खुद से जंग कर रहे हैं। मैदान से दूर होने पर किस तरह से टूट रहे हैं और कैसे टीम इंडिया बीमार होती जा रही है।
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