केप टाउन: टीम इंडिया के लिए टेस्ट सिरीज़ की इससे अच्छी शुरुआत नहीं हो सकती थी हालंकि टॉस हारने से ज़रा मायूसी ज़रुर हुई होगी लेकिन मायूसी को तेंज़ गेंदबाज़ भुवनेश्वर कुमार ने उस समय हर्ष में बदल दिया जब उन्होंने 12 के स्कोर पर साउथ अफ़्रीका के तीन बल्लेबाज़ों को पवैलियन की राह दिखा दी. इनमें एल्गर और आमला शामिल हैं जो बेहद ख़तरनाक बल्लेबाज़ माने जाते हैं.
तीन विकेट झटकने के बाद लगा कि मैच पूरी तरह से इंडिया की ग़िरफ़्त में है लेकिन कप्तान फ़ाफ़ डू प्लेसिस और एबी डिविलियर्स ने पारी संभालते हुए लंच तक कोई और नुकसान नहीं होने दिया हालंकि दोनों का क़िस्मत ने भी साथ दिया और कई बार दोनों आउट होते-होते बचे. लेकिन कहा जाता है कि क़िस्मत भी बहादुरों का साथ देती है.
डिविलियर्स एक आक्रामक बल्लेबाज़ हैं और उनसे रुक कर खेलने की उम्मीद नहीं की जाती लेकिन भारतीय बल्लेबाज़ों ने जहां शुरु में अच्छी गेदंबाज़ी की वहीं डिविलियर्स को ख़राब गेंद डालकर उन्हें जमने का मौक़ा दिया. उन्होंने बूमराह और बुवनेश्वर पर जमकर चौके लगाए. उनकी निर्भीक बल्लेबाज़ी से प्रेरित होते हुए डू प्लेसिस ने भी हाथ खोले और मैच की लग़ाम जो अब तक भारत के हाथ में थी, उसे छीन लिया. इंडिया ने मेज़बान के 107 के स्कोर में 76 रन तो बाउंड्री से दिए हैं. बूमराह अपना पहला टेस्ट मैच खेल रहे हैं लेकिन वो इतने प्रभावी नही लगे. उन्होंने 7 ओवर में 31 रन दिए. बूमराह की पिटाई का असर भुवनेश्वर पर भी पड़ा और उन्होंने बाद में पिटाई खाई और अपने 9 ओवर में 39 रन दे डाले.
बता दें कि भारत ने साउथ अफ्रीका की ज़मीन पर पिछले 25 सालों से कोई सिरीज़ नहीं जीती है. साउथ अफ्रीका में टीम इंडिया ने सबसे बेहतर प्रदर्शन 2010-11 में किया था जब वह सिरीज़ 1-1 से ड्रॉ कराने में सफल रही थी.
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