2007 में महेंद्र सिंह धोनी की अगुवाई में टीम इंडिया साउथ अफ्रीका में पहला टी20 वर्ल्ड कप खेलने गई थी। युवा टेलेंट से भरी इस टीम में सहवाग, हरभजन, अगरकर और युवराज ही चार अनुभवी खिलाड़ी थे। इस टीम में ना तो सचिन तेंदुलकर थे और ना ही द्रविड़ और गांगुली। लेकिन सीनियर खिलाड़ियों की गैरमौजूदगी में भी टीम इंडिया ने लाजवाब प्रदर्शन कर यह खिताब अपने नाम किया। भारत ने फाइनल मुकाबले में चिर-प्रतिद्वंदी पाकिस्तान को मात दी थी।
लेकिन क्या आप जानते हैं सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़ और सौरव गांगुली इस वर्ल्ड कप टीम का हिस्सा क्यों नहीं थे? शायदन नहीं, इसका खुलासा हाल ही में उस समय के टीम के मैनेजर लालचंद राजपूत ने करते हुए कहा है कि राहुल द्रविड़ के कहने पर सचिन और गांगुली यह वर्ल्ड कप नहीं खेलने गए थे।
स्पोर्ट्सकीड़ा से बात करते हुए लालचंद राजपूत ने कहा "हां, ये सच है (राहुल द्रविड़ ने सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली को टी20 वर्ल्ड कप खेलने से रोका था)। इंग्लैंड में राहुल द्रविड़ टीम इंडिया की कप्तानी कर रहे थे और कुछ खिलाड़ी इंग्लैंड से जोहानसबर्ग (टी20 वर्ल्ड कप के लिए) सीधा आए थे। तो उन्होंने कहा था कि यह मौका हम युवाओं को देते हैं।"
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इसी के साथ उन्होंने कहा "लेकिन वर्ल्ड कप जीतने के बाद उन्हें इसका पछतावा जरूर हुआ होगा क्योंकि सचिन हमेशा मेरे से कहते रहते थे कि मैं इतने सालों से खेल रहा हूं, लेकिन मैं अभी तक वर्ल्ड कप नहीं जीता हूं।"
लालचंद राजपूत ने धोनी को गांगुली और द्रविड़ का मिश्रण भी बताया। राजपूत ने आगे कहा "ईमानदारी से कहूं तो धोनी काफी शांत थे और वह प्रतिद्वंदी से दो कदम आगे सोचते थे। वह सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ का मिश्रण थे। गांगुली हमेशा खिलाड़ियों का आत्मविश्वास बढ़ाते थे और वह उन खिलाड़ियों में से है जिन्होंने भारतीय क्रिकेट की मानसिकता बदलने में मदद की।"
उन्होंने आगे कहा " तो यही चीज धोनी के साथ आगे बढ़ी क्योंकि धोनी भी खिलाड़ियों को क्षमता के अनुसार अवसर दिया करते थे और जिस खिलाड़ी में उन्हें ज्यादा क्षमता दिखती थी वह उन्हें प्रयाप्त अवसर दिया करते थे। धोनी मैदान पर किसी तरह का एक्शन नहीं दिखाते थे और यह खिलाड़ियों को उनका बेस्ट देने में मदद करता है।"
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