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Hindi News खेल क्रिकेट मुख्य चयनकर्ता एमएसके प्रसाद के कार्यकाल में जानें कैसा रहा भारतीय टीम का प्रदर्शन

मुख्य चयनकर्ता एमएसके प्रसाद के कार्यकाल में जानें कैसा रहा भारतीय टीम का प्रदर्शन

बीसीसीआई ने एक विज्ञापन जारी कर मुख्य चयनकर्ता पद के लिए आवेदन मंगाए हैं। मौजूदा समय में एमएसके प्रसाद के पास यह जिम्मेदारी है। आइए जानते हैं उनके कार्यकाल में कैसा रहा है भारतीय टीम का प्रदर्शन।

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भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ( बीसीसीआई ) ने राष्ट्रीय चयनकर्ता के लिए आवेदन मंगाए हैं। बीसीसीआई ने अपने विज्ञापन में इस पद के लिए योग्य उम्मीदवार को 24 जनवरी तक आवेदन जमा करने को कहा है। ऐसे में यह साफ हो गया है कि भारतीय क्रिकेट टीम के मौजूदा चयनकर्ता एमएस प्रसाद का कार्यकाल खत्म होने वाला है। हालांकि प्रसाद नए चयनकर्ता के नियुक्त होने तक अपने पद बने रहेंगे।

प्रसाद को बीसीसीआई ने साल 2015 में राष्ट्रीय चनयकर्ता नियुक्त किया था। प्रसाद के साथ गगन खोड़ा की भी नियुक्ति हुई थी। इसके अगले साल 2016 में चयन समिति का विस्तार हुआ और प्रसाद को इसका अध्यक्ष बनाया गया जबकि जतिन परांजपी, संदीप सिंह और देवांग गांधी को भी इसमें जोड़ा गया।

आइए जानते हैं एमएसके प्रसाद के 4 सालों के कार्यकाल में उनकी क्या उपलब्धि रही।

मुख्य चयनकर्ता के रूप में एमएसके प्रसाद की उपलब्धि

पिछले 4 सालों में जिस तरह से भारतीय क्रिकेट टीम ने विश्व क्रिकेट में अपना दबदबा बनाया है उसमें एमएसके प्रसाद के योगदान को नकारा नहीं जा सकता है। प्रसाद ने के कार्यकाल में ही एक ऐसी मजबूत युवा टीम खड़ी हुई है जो आज दुनिया के किसी भी टीम को हराने की क्षमता रखती है।

प्रसाद के कार्यकाल में कप्तान विराट कोहली की कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया की धरती पर साल 2018-19 में भारत को पहली बार टेस्ट सीरीज में जीत मिली जो कि एक बड़ी उपलब्धि माना जा सकता है। इससे पहले भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया को उसके घर में टेस्ट सीरीज में कभी नहीं हराया था।

इसके अलावा भारतीय टीम ने अपने घरेलू सरजमीं पर भी पिछले 4 सालों में धमाकेदार प्रदर्शन किया है और इस दौरान भारत आईसीसी के टेस्ट और वनडे रैंकिंग में पहले स्थान पर कब्जा जमाया। 

प्रसाद के कार्यकाल में भारत ने अपने घर में कुल 24 टेस्ट मैच खेले जिसमें उसे 19 में जीत मिली और इस दौरान उसने कुल 9 टेस्ट सीरीज पर अपना कब्जा जमाया जबकि वनडे में फॉर्मेट में भारत ने 34 वनडे मैच खेले जिसमें उसने 21 में जीत दर्ज की जबकि 12 मैचों में हार का सामना करना पड़ा। वहीं टी-20 में भारत ने 27 मैचों में से 19 में जीत हासिल की।

प्रसाद के कार्यकाल में ही जिस तरह से धोनी के बाद कोहली ने तीनों फॉर्मेट में कप्तान बनाया गया और कोहली ने जिस जिम्मेदारी के साथ एक उत्तारधिकारी के तौर पर अपनी भूमिका को निभाया वह शानदार रहा है। भारतीय टीम इसके बाद से लिमिटेड ओवर के क्रिकेट में लगातार अपना दबदबा कायम किया।

इनके कार्यकाल में ही टीम के दो अनुभवी स्पिन गेंदबाज आर अश्विन और रवींद्र जडेजा के साथ जिस तरह से युवा कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल को मौका दिया गया वह काफी सराहनीय है। मौजूदा समय में यह दोनों ही गेंदबाद भारतीय टीम की सबसे बड़ी ताकत है।

इतना ही नहीं ये भी माना जाता है कि भारत के पास सबसे मजबूत तेज गेंदबाजों की फौज है। प्रसाद के कार्यकाल में जिस तरह जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी, भुवनेश्वर कुमार, शार्दुल ठाकुर, खलील अहमद, दीपक चाहर जैसे गेंदबाजों को लगातार अंतराल पर मौका दिया गया जिससे वो और निखर कर आए।

हार्दिक पांड्या और शिवम दूबे जैसे ऑलराउंडरों की खोज भी प्रसाद के कार्यकाल में ही माना जाता है। यह दोनों ही खिलाड़ी भारतीय टीम के लिए खास है। इन दोनों खिलाड़ियों के पास इतनी क्षमता है कि वह गेंदबाजी और बल्लेबाजी दोनों में ही धमाल मचा सकते हैं। 

चयनकर्ता के रूप में एमएसके प्रसाद की विफलता

एमएसके प्रसाद के कार्यकाल में उनकी सबसे बड़ी नकामी आईसीसी के किसी भी बड़े टूर्नामेंट को नहीं जीत पाना माना जा सकता है। इस दौरान भारत ने टी-20 विश्व कप, चैपियंस ट्रॉफी और पिछले साल इंग्लैंड में खेले गए 50 ओवरों के विश्व कप का खिताब जीतने से चूक गई।

इसके साथ ही अगर ऑस्ट्रेलिया को छोड़ दें तो एमएसके प्रसाद के कार्यकाल में विदेशी सरजमीं पर भारतीय टीम का प्रदर्शन उस स्तर का नहीं रहा जैसा कि घेरलू मैदान पर। 

भारत से बाहर टीम ने प्रसाद के कार्यकाल में कुल 17 टेस्ट मैच खेले जिसमें उसे सिर्फ 9 मैचों में जीत नसीब हुई। इस दौरान टीम इंडिया को इंग्लैंड और साउथ अफ्रीका के हाथों हार का सामना करना पड़ा।

हालांकि इस दौरान भारत ने वनडे फॉर्मेट मे दमदार प्रदर्शन किया। भारत ने पिछले चार सालों में वेस्टइंडीज, श्रीलंका, साउथ अफ्रीका, और ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड को उसके घर में मात दी। भारत को सिर्फ इंग्लैंड दौरे पर वनडे सीरीज में हार का सामना करना पड़ा था।

वहीं भारतीय टीम लिमिटेड ओवरों के क्रिकेट में लगातार चौथे नंबर पर बल्लेबाजी के लिए जूझ रही है। इस दौरान कई खिलाड़ियों को इस जगह पर आजमाया गया जिसमें अंबाती रायडू, विजय शंकर, दिनेश कार्तिक, श्रेयस अय्यर जैसे नाम शामिल है लेकिन एसएसके के कार्यकाल में अबतक किसी भी खिलाड़ी को यह जगह नहीं मिल पाई।

एमएसके प्रसाद के कार्यकाल में अबतक धोनी का उत्तराधिकारी नहीं मिल पाया है। हालांकि टीम में ऋषभ पंत को एक बाद एक मौके दिए जा रहे हैं लेकिन इसके बावजूद वह टीम में अपनी जगह नहीं बना पा रहे हैं। इस वजह से उनके चयन पर कई सवाल उठने लगे।

अंबाती रायडू, मुरली विजय और करुण नायर जैसे क्रिकेटरों ने प्रसाद पर यह आरोप लगाया कि बिना कोई कारण बताए ही उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया, जिसकी वजह से इस पर काफी विवाद भी हुआ था। 

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