कोरोना वायरस महामारी के बीच पूरी दुनिया में इन दिनों नस्लवाद का मुद्दा गर्माया हुआ है। अमेरिका में जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद सभी जगह नस्लवाद के खिलाफ लोग अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं जिसमें वेस्टइंडीज के कई क्रिकेटर भी शामिल हैं।
वेस्टइंडीज को 2 बार T20 वर्ल्ड कप जिताने वाला पूर्व कप्तान डैरेन सैमी ने भी हाल ही में खुलासा किया था कि आईपीएल में वह नस्लीय भेदभाव का शिकार हो चुके हैं। सैमी ने में अपने इंस्टाग्राम पर लिखा था कि जब वह आईपीएल में सनराइजर्स हैदराबाद की टीम से खेला करते थे तो उन्हें और श्रीलंका के खिलाड़ी थिसारा परेरा को कालू कहकर पुकारा जाता था। उन्हें लगता था कि इसका मतलब ताकतवर घोड़ा होता है, लेकिन अब उन्हें इसका असली मतलब पता चल चुका है और ये बात जानकर वह काफी गुस्से में हैं।
डैरेन सैमी के इस खुलासे के बाद बीसीसीआई ने इस मामलें सफाई भी दी थी। बीसीसीआई के कोषाध्यक्ष अरुण धूमल ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा था कि ये ऐसी घटना है, जो कई साल पहले हुई है और उन्हें नहीं मालूम की इसका जिम्मेदार कौन है। लेकिन बीसीसीआई हमेशा अपने खिलाड़ियों को इस संबंध में शिक्षित करता है कि उन्हें नस्लीय विवाद से दूर रहना है।
डैरेन सैमी के आरोप लगाने के कुछ दिन बाद ही ये बात साफ हो गई कि वेस्टइंडीज के पूर्व कप्तान के दावों में कितनी सच्चाई है। दरअसल, सोशल मीडिया पर इस समय इशांत शर्मा का एक इंस्टाग्राम पोस्ट वायरल हो रहा है जो 14 मई 2014 को शेयर किया गया था। इस पोस्ट में एक फोटो है जिसमें इशांत शर्मा के साथ भुवनेश्वर कुमार, डैरेन सैमी और डेल स्टेन नजर आ रहे हैं।
इस फोटो के कैप्शन से साफ हो जाता है कि इशांत शर्मा ने सैमी को लेकर नस्लीय टिप्पणी की थी। उन्होंने इस फोटो के कैप्शन में लिखा था, "मैं, भुवी, कालू और गन सनराइजर्स।" गौरतलब है कि आईपीएल 2014 में इशांत शर्मा और डैरेन सैमी सनराइजर्स हैदराबाद टीम का हिस्सा थे।
इससे पहले इरफान पठान और पार्थिव पटेल जैसे अन्य खिलाड़ियों ने सैमी के आरोपों के बाद आईपीएल में नस्लीय भेदभाव के मुद्दे पर अपनी बात रखी थी। पार्थिव ने कहा था कि उन्हें नहीं लगता है कि टीम के किसी भी सदस्य ने उन्हें कुछ भी आपत्तिजनक शब्द कहे होंगे। वहीं भारत के पूर्व ऑलराउंडर इरफान ने पठान ने भी इस बात से इंकार किया था।
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