भारत के पूर्व बल्लेबाज आकाश चोपड़ा ने शनिवार को कहा कि क्रिकेट में भाई-भतीजावाद अन्य उद्योगों की तुलना में उतना प्रासंगिक नहीं है। रोहन गावस्कर और अर्जुन तेंदुलकर के उदाहरणों का हवाला देते हुए चोपड़ा ने कहा कि हर कोई घरेलू सर्किट में प्रदर्शन करके अंतरराष्ट्रीय स्तर तक जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी खेल के महान खिलाड़ी का रिश्तेदार होने पर उसके इंटरनेशनल लेवल पर खेलने की गांरटी नहीं होती है।
आकाश ने अपने यूट्यूब शो आकाशवाणी पर कहा, "चूंकि रोहन गावस्कर महान क्रिकेटर सुनील गावस्कर के बेटे हैं, तो रोहन को ज्यादा समय तक क्रिकेट खेलनी चाहिए थाी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। रोहन भारत के लिए भी इसी वजह से खेल पाए क्योंकि उन्होंने घरेलू क्रिकेट में बंगाल की ओर से अच्छा प्रदर्शन किया था।" उन्होंने आगे कहा, "सब छोड़िए, वह एक समय तो मुंबई की रणजी टीम में नहीं थे। मुंबई टीम में उन्हें जगह नहीं मिल रही थी जबकि उनके नाम के पीछे गावस्कर लगा है।"
रोहन ने साल 2004 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत के लिए डेब्यू किया था। हालांकि वह भारत के लिए ज्यादा मैच नहीं खेल सके। रोहन सिर्फ 11 मैचों में 151 रन बना पाए और इसके बाद उन्हें फिर कभी भारत के लिए खेलने का मौका नहीं मिला।
आकाश ने कहा, "आप यही बात अर्जुन के बारे में भी कह सकते हो क्योंकि वह सचिन के बेटे हैं, कुछ भी उन्हें प्लेट में नहीं दिया गया। वह भारतीय टीम में आसानी से नहीं पहुंचे। अंडर-19 में भी कोई फालतू का चयन नहीं हुआ था। जब भी चयन होता है तो यह प्रदर्शन के आधार पर होता है।"
आकाश ने हालांकि घरेलू क्रिकेट में भाई-भतीजावाद को स्वीकार करते हुए कहा, "मैंने ऐसा राज्य की टीमों में होते हुए देखा है जहां एक खिलाड़ी लंबे समय तक कप्तान रहा था। वह एक प्रशासक का बेटा था, न कि किसी खिलाड़ी का। वह बहुत अच्छा खिलाड़ी भी नहीं था और उसके आंकड़े भी इस बात को बता देते हैं। लेकिन उच्च स्तर पर, ऐसा कभी नहीं होता। कोई किसी को आईपीएल अनुबंध इसलिए नहीं देता, क्योंकि वो किसी का बेटा या भतीजा है।"
गौरतलब है कि इन दिनों भारत में भाई-भतीजावाद और वंशवाद का मुद्दा गर्माया हुआ है। इस बहस की शुरुआत भारतीय फिल्म इंडस्ट्री से हुई थी जिस पर कोई लोग वंशवाद का आरोप लगाते हैं।
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