नई दिल्ली। इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) विश्व की सबसे अमीर लीग में से एक है लेकिन फिर भी इसे प्रचार-प्रसार की जरूरत पड़ती है। आईपीएल के 12वें संस्करण के प्रचार के लिए भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने अलग से 50 करोड़ रुपये रखे थे। बीसीसीआई ने टूर्नामेंट के इस सीजन के लिए बजट के लिए विज्ञापनों के लिए कुल 50 करोड़ की राशि रखी थी। आईएएनएस के पास वो कागजात मौजूद हैं जिनमें बोर्ड के बजट में आईपीएल की विज्ञापन राशि का जिक्र है। रोचक बात यह है कि 2018 सत्र में भी बोर्ड ने इतने ही पैसे आईपीएल के प्रचार के लिए रखे थे।
बीसीसीआई के एक अधिकारी ने आईएएनएस से प्रचार संबंधी गतिविधियों की रणनीति के बारे में कहा कि टूर्नामेंट की शुरुआत से पहले और नॉकआउट दौर के दौरान जागरूकता फैलाना इसका मकसद है।
उन्होंने कहा, "यह आमरतौर पर दो चरण में किया जाता है। 80 फीसदी टूर्नामेंट के पहले महीने में और बाकी प्लेऑफ से पहले। आप जो अखबारों में विज्ञापन देखते हैं और रोड़ की साइड में जो होर्डिग देखते हैं वो इसी प्रक्रिया का हिस्सा है।"
अधिकारी से जब पूछा गया कि आईपीएल का प्रसारणकर्ता स्टार स्पोटर्स भी लीग का विज्ञापन करता है तो क्या ऐसे में अलग से आईपीएल का प्रचार करने के पीछे क्या रणनीति है?
अधिकारी ने इस सवाल से जवाब में कहा, "टीवी पर वो जो करते है वो उनका पहलू है। हम प्रशंसकों तक टीवी के जरिए नहीं पहुंचना चाहते। साथ ही हमारा लक्ष्य टियर-2 शहरों तक पहुंचने का है क्योंकि मेट्रो शहर के लोग पहले से ही जागरूक रहते हैं। अन्य शहरों में जो रहते हैं उन तक पहुंचना भी जरूरी है।" लीग का औपचारिक प्रसारणकर्ता स्टार स्पोटर्स लगातार लीग का प्रचार-प्रसार कर रहा है।
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