IND vs SA: सेंचुरियन टेस्ट में करो या मरो का स्थिति, ये चेहरा पा सकता है प्लेइंग XI में जगह
सेंचुरियन टेस्ट में विराट कोहली एंड कंपनी जीत के इरादे से उतरेगी ताकि सीरीज में बराबरी पर टीम इंडिया आ सके। सेंचुरियन टेस्ट इस लिहाज से कप्तान विराट कोहली एंड टीम के लिए अभी तक की सबसे बड़ी चुनौती बन गया है।
भातर बनाम दक्ष्रिण अफ्रीका सेंचुरियन टेस्ट: दक्षिण अफ्रीका और भारत के बीच तीन टेस्ट मैचों की सीरीज का पहला मैच भारत हार चुका है इस लिहाज से सेंचुरियन टेस्ट में विराट कोहली एंड कंपनी जीत के इरादे से उतरेगी ताकि सीरीज में बराबरी पर टीम इंडिया आ सके। सेंचुरियन टेस्ट इस लिहाज से कप्तान विराट कोहली एंड टीम के लिए अभी तक की सबसे बड़ी चुनौती बन गया है। ऐसे में टीम इंडिया के प्रमुख बल्लेबॉजो को मैच में बेहतर रन स्कोर बनाना होगा वहीं दूसरी तरफ गेंदबाजों को भी धारधार गेंदबाजी करते हुए 20 विकेट झटकने ही होंगे। गौरतलब है कि केप टाउन टेस्ट में हार के बाद टीम इंडिया के लिए तीन मैच की सिरीज़ नॉकआउट स्टेज हो गई है यानी शनिवार से शुरु हो रहा सेंचुरियन में दूसरा टेस्ट हार जाती है तो सिरीज़ भी हार जाएगी और इस तरह कोहली एण्ड कंपनी का साउथ अफ़्रीका में 25 साल बाद टेस्ट सिरीज़ जीतने का सपना बस फिर सपना बनकर रह जाएगा.
विरोट कोहली को करना होगा बड़ा फैसला,जीत के लिए टीम इंडिया का संतुलन भी जरूरी
अब बड़ा सवाल ये है कि कप्तान विराट कोहली सिरीज़ में वापसी के लिए प्लेइंग XI में कोई बदलाव करेंगे या नहीं और करते भी हैं तो वो क्या होगा? ये सवाल इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि तीन मैच की सिरीज़ में कप्तान के लिए चाहकर भी टीम में बदलाव करना बड़ा मुश्किल हो जाता है. एक मैच या दो पारियों के प्रदर्शन के आधार पर किसी को बाहर करना ज़्यादती लगता है. ज़्यादती के अलावा ये एक ग़लत संदेश भी देता है कि कप्तान को अपनी पहली पसंद पर भरोसा नहीं है. ज़ाहिर है इसका फ़ाय़दा विरोधी टीम को मिलता है जो संशय का लाभ उठाने की स्थिति में आ जाती है.
सक्सेस में सबका साथ,हारे तो कप्तान विराट कोहली की रणनीति पर उठ सकते है सवाल
कहावत है कि सफलता के कई दावेदार बन जाते हैं लेकिन विफलता वीराने में अकेली मरती है (succsess has so many fathers, failure dies alone). पहले टेस्ट में हार के बाद कप्तान विराट कोहली के टीम-चयन को लेकर कई सवाल उठे. आलोचकों का कहना है कि रोहित शर्मा की जगह उप-कप्तान अजंक्य रहाणे को खिलाया जाना चाहिए था. इन आलोचकों में पूर्व कप्तान सौरव गांगुली भी शामिल हैं. कहते हैं कि आपका पिछला प्रदर्शन ही तय करता है कि आप कितने अच्छे या बुरे खिलाड़ी हैं (you are as good as your last performance). ज़ाहिर है कोहली ने भी पहले टेस्ट के लिए जब टीम चुनी तो उनके ज़हन में भी यही बात होगी और तभी उन्होंने रहाणे की जगह रोहित को रखा क्योंकि रोहित ने जहां घरेलू मैदान पर टेस्ट और वनडे में अच्छा प्रदर्शन किया था वहीं रहाणे वनडे में तो ठीक थे लेकिन टेस्ट में नाकाम रहे थे.
रोहित हालंकि यहां पहले टेस्ट में कुछ ख़ास नहीं कर सके लेकिन पहली पारी में जब 27 के स्कोर पर तीन विकेट गिर गए थे तब रोहित ने पुजारा के साछ डेढ़ घंटे से ज़्यादा देर तक बल्लेबाज़ी की और 59 गेंदों का सामना करते हुए 11 रन बनाए थे. कल्पना कीजिए अगर उस समय रोहित अगर नहीं टिकते तो टीम इंडिया का स्कोर क्या होता? रोहित ने भले ही 11 रन बनाए लेकिन उनकी पारी ढहती बल्लेबाज़ी को कुछ देर ही सही, रोकने में महत्वपूर्ण थी. इस लिहाज़ से देखें तो उन्हें कोहली दूसरे टेस्ट में भी खिलाना चाहेंगे और हो सकता है वह उन्हें उनके नैचुरल शॉट खेलने की छूट दें दे जो उनकी ताक़त भी है और शायद कमज़ोरी भी.
टीम इंडिया को गब्बर (शिखर धवन) से है बड़ी उम्मीदें,बल्ला चल गया तो रनों की बरसात होगी
अब बात करें ओपनर शिखर धवन की. धवन दोनों पारियों में छोटी गेंद पर एक जैसा शॉट लगाकर सस्ते में आउट हुए. आपको बता दें कि टीम इंडिया में ऐसे बहुत कम बल्लेबाज़ हैं जो पुल या हुक शॉट खेलते हैं. दरअसल इंडियन विकेट्स पर ऐसे शॉट खेलने का मौक़ा भी कम ही मिलता है क्योंकि विकटों में उछाल बहुत कम होता है. धवन ऐसे बल्लेबाज़ हैं जो पुल और हुक शॉट लगाना पसंद करते हैं. वह दोनो पारियों में जिस तरह से आउट हुए उसे देखकर लोग कह रहे हैं कि उन्हें शॉर्टपिच गेंद खेलनी नहीं आती. लेकिन देखा जाए तो पहली पारी में जहां डेल स्टेन की गेंद अचानक उछल गई थी जिसके लिए धवन तैयार नहीं थे, वही दूसरी पारी में भी वह छोटी बॉल पर कैच आउट हुए. दोनों बार धवन ने हुक या पुल करने की बजाय बॉल पर बैट रोल करने की कोशिश की जो उनका गैम है ही नहीं. ज़ाहिर है धवन को आउट होने का डर सता रहा होगा तभी उन्होंने अपना नैचुरल शॉट रोकने की कोशिश की और उसका ख़मियाज़ा उठाना पड़ा. धवन जिस तरह के आक्रामक बल्लेबाज़ हैं उनसे वही आक्रामकता की उम्मीद की जाएगी और कोहली केएल राहुल की जगह अभी भी उनको तरजीह दे सकते हैं.
सेंचुरियन में टीम इंडिया को ज़्यादा पेस और ज़्यादा उछाल वाल गेंदो का करना होगा सामना
साउथ अफ्रीका ने पहले मैच में अपने तेज़ गेंदबाज़ों के दम पर जीत दर्ज की थी. इसे देखते हुए दूसरे टेस्ट मैच के लिए और तेज़ और उछाल वाली पिच की मांग रखी है. सेंचुरियन के ग्राउंड्समैन ब्रायन ब्लॉय ने बताया कि जो संदेश आया है, उसमें दो बातें अहम हैं: ज़्यादा पेस और ज़्यादा उछाल. ज़ाहिर है अगर विकेट इसी निर्देश पर तैयार किया जाता है तो टीम में स्पिनर की जगह बनती नही है. ऐसे में कोहली रविंद्र जडेजा को खिला सकते हैं क्योंकि साउथ अफ़्रीका की टीम में दाएं हाथ के बल्लेबाज़ों की भरमार है और जडेजा बाएं हाथ के मध्यम फ़ास्ट स्पिनर हैं. अगर टीम इंडिया टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी करती है और मैच पांचवे दिन पहुंचता है तो जडेजा को लेग स्टंप के बाहर बने रफ पेचज़ से मदद मिलेगी. जडेजा भी आक्रामक बल्लेबाज़ हैं और बॉलर्स को अपने ऊपर हावी होने देना पसंद नहीं करते. इसके अलावा जडेजा की वजह से टीम में सात बल्लेबाज़ और 6 गेंदबाज़ हो जाएंगे.
संभावित टीम: मुरली विजय/केएल राहुल, शिखर धवन, चेतेश्वर पुजारा, विराट कोहली (कप्तान), रोहित शर्मा, हार्दिक पंड्या, रिद्धिमन साहा, रविंद्र जडेजा, भुवनेश्वर कुमार, मोहम्मद शमी, जसप्रीत बूमराह