जब
यजुवेन्द्र चहल और
कुलदीप यादव का घूमता है हाथ, तो अच्छे से अच्छे बल्लेबाज घूम जाते हैं। जोहान्सबर्ग की जंग में भी कोहली के लिए ये तुरुप का इक्का बनेंगे। खबरों के मुताबिक पिच पाटा होगी लेकिन इस भारतीय टीम को कोई फर्क नहीं पड़ता।
कप्तान बोल रहे हैं, हर कोई बोल रहा है हम भी ऐसा क्यों बोल रहे हैं, इसे सबूतों के साथ देखिए, समझिए क्यों चहल और यादव की जोड़ी भारतीय क्रिकेट इतिहास की सर्वश्रेष्ठ युवा जोड़ी है। युजवेंद्र चहल अब तक सीरीज़ में खेले 3 मैचों में 10.27 की औसत से 11 विकेट और कुलदीप यादव 7.70 की औसत से दस विकेट ले चुके हैं। ये दोनों स्पिनर्स का पहला दक्षिण अफ्रीकी दौरा है। अब जरा भारत के दिग्गज स्पिनर्स का दक्षिण अफ्रीका के पहले दौरे से इनकी तुलना करते हैं, जिसको देख दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।
अनिल कुंबले 1992 में पहली बार अफ्रीका गए, जहां खेले 7 वनडे में 44.40 की औसत से सिर्फ 5 विकेट ले सके। यहां बाजी चहल और कुलदीप मार रहे हैं। इसके बाद हरभजन की बात करते हैं, साल 2006 में पहली बार बाइलेट्रल सीरीज़ खेलने अफ्रीका गए। 3 वनडे खेले और 161 की औसत से विकेट लेकर आए सिर्फ एक। आर अश्विन भी इसी तरह 2013 में पहली बार अफ्रीका विकेट लेने पहुंचे लेकिन उनकी कैरम बॉल का अफ्रीका ने कबाड़ा निकाल दिया और वो भी 3 मैचों में 169 की औसत से 1 ही विकेट ले पाए तो वहीं रवींद्र जडेजा इसी दौरे पर 139 की औसत से 1 विकेट।
वैसे इस सीरीज़ में तो कलाई के ये दो स्पिनर काल ही बने हुए है। कौन सोच सकता था कि तेज और बाउंसी अफ्रीकी विकेटों पर भारतीय स्पिनर्स ऐसा कोहराम मचाएंगे, ऐसा धमाल मचाएंगे। चहल-कुलदीप ने इस सीरीज़ में कुल 21 विकेट लिए। जब बाकी के दोनों टीमों के गेंदबाज़ों ने कुल मिलाकर 16 विकेट लिए है। लिहाजा ये जोड़ी विराट के लिए हीरा मोती से ज्यादा कीमती है क्योंकि इन्हीं की गेंदें इतिहास रचने वाली हैं।
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