3rd ODI: विराट कोहली का शतक बेकार गया, ऑस्ट्रेलिया ने जीत से की सीरीज में वापसी
कोहली ने लगातार दूसरे मैच में शतक जमाया। उन्होंने 95 गेंदों पर 123 रन की आकर्षक पारी खेली जिसमें 16 चौके और एक छक्का शामिल है।
रांची। विराट कोहली ने फिर से दिलकश बल्लेबाजी का नजारा पेश करके वनडे में 41वां शतक लगाया लेकिन पहले स्पिनरों की नाकामी और बाद में बाकी बल्लेबाजों की ढिलायी भारत को भारी पड़ी और उसे ऑस्ट्रेलिया के हाथों तीसरे एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच में शुक्रवार को यहां 32 रन से हार का सामना करना पड़ा।
कोहली ने लगातार दूसरे मैच में शतक जमाया। उन्होंने 95 गेंदों पर 123 रन की आकर्षक पारी खेली जिसमें 16 चौके और एक छक्का शामिल है। लेकिन उन्हें दूसरे छोर से किसी भी बल्लेबाज का सहयोग नहीं मिला और 314 रन के लक्ष्य का पीछा कर रही भारतीय टीम 48.2 ओवर में 281 रन पर आउट हो गयी। कोहली ने अपनी पारी के दौरान कप्तान के रूप में वनडे में 4000 रन भी पूरे किये।
ऑस्ट्रेलिया ने पांच विकेट पर 313 रन बनाये थे। उसकी तरफ से उस्मान ख्वाजा (113 गेंदों पर 104 रन) ने वनडे में अपना पहला शतक जमाया और आरोन फिंच (99 गेंदों पर 93 रन) के साथ पहले विकेट के लिये 193 रन जोड़े। ग्लेन मैक्सवेल ने भी 31 गेंदों पर 47 रन बनाकर उपयोगी योगदान दिया। मार्कस स्टोइनिस (नाबाद 31) और अलेक्स कैरी (नाबाद 21) ने छठे विकेट के लिये 50 रन की अटूट साझेदारी की।
भारत पहले दो मैचों में जीत दर्ज करके श्रृंखला में अजेय बढ़त हासिल करने के लिये उतरा था लेकिन ऑस्ट्रेलिया ने पांच मैचों की श्रृंखला को जीवंत बनाये रखा।
इस मैच से भारत के लिये विश्व कप से पहले शीर्ष क्रम को लेकर थोड़ी परेशानी बढ़ गयी है। शिखर धवन का पिछली दस पारियों में सर्वोच्च स्कोर 30 रन है जबकि अंबाती रायुडु भी फार्म से जूझ रहे हैं।
धवन (एक) का जॉय रिचर्डसन (37 रन देकर तीन विकेट) की गेंद पर मैक्सवेल ने डाइव लगाकर शानदार कैच लिया जबकि पैट कमिन्स (37 रन देकर तीन विकेट) ने सपाट पिच पर भी मूवमेंट हासिल करके रोहित शर्मा (14) और रायुडु (दो) को पवेलियन की राह दिखायी जिससे भारत का स्कोर तीन विकेट पर 27 रन हो गया।
महेंद्र सिंह धोनी के क्रीज पर उतरते ही दर्शक उत्साह से भर गये। अपने घरेलू मैदान पर संभवत: अपना आखिरी मैच खेल रहे इस विकेटकीपर बल्लेबाज ने आफ स्पिनर नाथन लियोन पर छक्का जड़कर अपने पुराने तेवर भी दिखाये लेकिन लेग स्पिनर एडम जंपा (70 रन देकर तीन विकेट) की गेंद उनके बल्ले का किनारा लेकर विकेटों में समा गयी और जेएससीए स्टेडियम को सांप सूंघ गया।
धोनी ने 42 गेंदों पर 26 रन बनाये और कोहली के साथ चौथे विकेट के लिये 59 रन जोड़े। कोहली पहली गेंद से ही लय में दिखे और उन्होंने फिर से बल्लेबाजी खूबसूरत पक्ष का जबर्दस्त नमूना पेश किया। ऑस्ट्रेलिया के तेज और स्पिन आक्रमण भारतीय कप्तान पर कोई असर नहीं छोड़ पाया। धोनी के आउट होने के बाद उन्होंने अकेले जिम्मा उठाया और कई दिलकश शॉट लगाये। स्टोइनिस पर लगाये गये उनके लगातार चौके फ्लिक और कवर ड्राइव का बेहतरीन उदाहरण थे।
वह 52 गेंदों पर 50 रन पर पहुंचे। उन्होंने केदार जाधव (26) के साथ 88 रन की साझेदारी की। कोहली ने जाधव को विकेट बचाये रखने का निर्देश दिया था लेकिन वह जंपा की गेंद को स्वीप करने के प्रयास में गच्चा खा गये। कोहली ने 85 गेंदों पर वनडे में 41वां शतक पूरा किया लेकिन भाग्य ने भी उनका साथ दिया। जब वह 98 रन पर थे तब मैक्सवेल की गेंद पर कैरी ने उनका कैच छोड़ा जबकि सैकड़ा पूरा करने के तुरंत बाद गलत टाइमिंग से लगाया गया उनका शाट छक्के के लिये चला गया।
वह पूरे रंग में थे लेकिन जंपा पर लगातार तीसरा चौका लगाने के प्रयास में गुगली उनको गच्चा दे गयी जिससे भारतीय की जीत की उम्मीदें भी समाप्त हो गयी। विजय शंकर (32) और रविंद्र जडेजा (24) हार का कुछ अंतर ही कम कर पाये।
यह ऐसा दिन था जिसमें भारतीय स्पिनर नहीं चल पाये। जडेजा (दस ओवर में 64 रन, कोई विकेट नहीं) और जाधव (दो ओवर में 32 रन, कोई विकेट नहीं) ने खूब रन लुटाये। कुलदीप यादव (दस ओवर में 64 रन देकर तीन विकेट) ने हालांकि पारी के दूसरे चरण में तीन विकेट लेकर अपने गेंदबाजी विश्लेषण में सुधार किया।
ऑस्ट्रेलिया का स्कोर 40 ओवर के बाद दो विकेट पर 244 रन था लेकिन आखिरी दस ओवरों में वह केवल 69 रन ही बना पाया। इसका श्रेय जसप्रीत बुमराह (52 रन देकर एक विकेट) और मोहम्मद शमी (53 रन देकर कोई विकेट नहीं) को जाता है जिन्होंने मिलकर 64 गेंदें ऐसी डाली जिन पर रन नहीं बने।
भारतीय क्षेत्ररक्षण भी अच्छा नहीं रहा। धवन ने जडेजा की गेंद पर स्क्वायर लेग पर ख्वाजा का कैच छोड़ा। तब वह 17 रन पर खेल रहे थे। कोहली, जाधव और बुमराह ने भी ढीला क्षेत्ररक्षण किया जिससे बल्लेबाजों पर से दबाव कम हुआ।
शमी भी तीन ओवर करने के बाद चोटिल हो गये और उन्हें कुछ देर के लिये मैदान छोड़ा और इससे भी बल्लेबाजों पर से दबाव कम हुआ। फिंच और ख्वाजा ने इस बीच तीनों स्पिनरों को अच्छी तरह से खेला। फिंच ने जाधव को निशाना बनाया और अपने तीनों छक्के लांग आन और मिडविकेट क्षेत्र में लगाये। विजय शंकर (आठ ओवर में 44 रन देकर कोई विकेट नहीं) ने ऐसे में अच्छी जिम्मेदारी निभायी।
जडेजा भी सपाट विकेट पर प्रभावी नहीं दिखे। ख्वाजा और फिंच के बाद मैक्सवेल ने भी स्पिनरों का सामना करने के लिये अपने फ्रंट फुट का अच्छा इस्तेमाल किया। कुलदीप ने फिंच को पगबाधा आउट करके भारत को पहली सफलता दिलायी। इसके बाद उन्होंने अपने एक ओवर में शान मार्श (सात) और पीटर हैंड्सकांब (शून्य) को भी पवेलियन भेजा।